नई दिल्ली: रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण करने के तीन साल बाद इस जंग को रोकने और शांति योजना पर चर्चा करने के लिए कई प्रमुख देशों के प्रमुख दो दिवसीय सम्मेलन में भाग लेने के लिए स्विट्जरलैंड में हैं। 15-16 जून को होने वाले वैश्विक शिखर सम्मेलन में युद्ध रोकने के उपायों पर चर्चा होगी। हालांकि शिखर सम्मेलन में रूस का प्रतिनिधि नहीं जाएगा क्योंकि उसे आमंत्रित नहीं किया गया है। रूस ने कहा था कि उसकी इसमें भाग लेने की कोई योजना नहीं थी। यह हाई-प्रोफाइल वार्ता ऐसे समय में हो रही है जब रूस ने युद्ध के मैदान में बढ़त हासिल कर ली है और यूक्रेन गोला-बारूद और सैनिकों की कमी से जूझ रहा है।
स्विट्जरलैंड द्वारा आयोजित वैश्विक शिखर सम्मेलन का उद्देश्य यूक्रेन की 10-सूत्रीय शांति योजना के लिए राजनयिक समर्थन बढ़ाना है। शांति शिखर सम्मेलन के लिए मेहमान शानदार बर्गेनस्टॉक होटल में एकत्रित होंगे। यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की नवंबर 2022 में रूस के साथ कीव के युद्ध के समाधान के लिए एक शांति योजना लेकर आए थे। 10 सूत्री पहल में रूसी सैनिकों की पूर्ण वापसी और रूस द्वारा किए गए युद्ध अपराधों पर मुकदमा चलाना शामिल है।
प्रस्ताव में यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता को बहाल करना, शत्रुता को रोकना, सभी कैदियों और बंदियों की रिहाई, पर्यावरण संरक्षण, यूक्रेनी खाद्यान्न की शिपमेंट सुनिश्चित करना, ऊर्जा सुरक्षा, यूक्रेन के लिए सुरक्षा गारंटी, परमाणु सुरक्षा बहाल करना और युद्ध को समाप्त करना भी शामिल है।
हालांकि विशेषज्ञों को शिखर सम्मेलन से युद्ध ख़त्म करने की दिशा में ज़्यादा प्रगति की उम्मीद नहीं है। सम्मेलन की मेजबानी कर रहे स्विट्जरलैंड ने एक तटस्थ मेजबान के रूप में अपनी छवि नहीं बनाई है। उसने रूस पर पश्चिमी प्रतिबंधों का समर्थन किया है और यहां तक कि रूसी विमानों को अपने क्षेत्र में उड़ान भरने से भी प्रतिबंधित कर दिया है। इस आयोजन में रूस की अनुपस्थिति के कारण चीन सहित कुछ अन्य देश भी शिखर सम्मेलन से दूर हैं। चीन का कहना है कि यूक्रेन और रूस दोनों को मध्यस्थता की मेज पर होना चाहिए। ब्राजील ने भी इसी तरह की मांग की है और कहा है कि वह इसमें शामिल नहीं होगा।
स्विट्ज़रलैंड के अनुसार 160 देशों को इस सम्मेलन में शामिल होने के लिए निमंत्रण भेजे गए थे लेकिन केवल 90 देशों ने अपनी उपस्थिति की पुष्टि की। इसमें भारत तो शामिल होगा लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वहां मौजूद नहीं रहेंगे। भारत की तरफ से उच्च अधिकारी हिस्सा लेंगे।