इस्लामाबादः 12 मई को शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट जारी रही। गुरुवार को इंटरबैंक बाजार में ग्रीनबैक 192.20 रुपए के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया जो पिछले दिन 190.20 के करीब था। चेज मैनहट्टन बैंक के ट्रेजरी हेड असद रिजवी ने बताया कि पाकिस्तानी रुपये में डॉलर के मुकाबले लगभग नौ प्रतिशत की गिरावट आई है।
असद रिजवी ने वेब-आधारित वित्तीय डेटा और एनालिटिक्स पोर्टल - मेटिस ग्लोबल को बताया कि यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के समय से डॉलर के मुकाबले रुपए में लगातार गिरावट दर्ज की गई है। उन्होंने आगे बताया कि रूसी आक्रमण के परिणामस्वरूप आर्थिक मंदी और उच्च तेल की कीमतों ने भारतीय रुपये सहित अन्य मुद्राओं और त्वरित मुद्रास्फीति को भी प्रभावित किया है। और आनेवाले समय में इसमें कोई राहत नजर नहीं आ रही है। गौरतलब है कि डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपए की कीमत 77.55 रुपया हो चुका है।
डॉलर के मुकाबले रुपये के इस फ्रीफॉल को देश के उच्च आयात बिल के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा 1 अरब डॉलर की किश्त जारी करने में देरी के लिए भी जिम्मेदार ठहराया गया है।
बुधवार को डॉन की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि बढ़ती विनिमय दर ने अर्थव्यवस्था को झकझोर कर रख दिया है। मुख्य रूप से आयात में अनियंत्रित वृद्धि और निर्यात में वृद्धि की अपेक्षाकृत धीमी गति के कारण रुपया अपना मूल्य खो रहा था। यह व्यापार घाटे में भी दिखाई दिया, जो जुलाई-अप्रैल में 39 अरब डॉलर तक पहुंच गया।
मुद्रा विशेषज्ञों और डीलरों को डर है कि आने वाले दिनों में रुपया और तेजी से गिरेगा, जब तक कि कहीं से भी आमद सामने नहीं आती। उनका कहना है कि स्थानीय मुद्रा के दिन-प्रतिदिन के अवमूल्यन से गंभीर दहशत जैसी स्थिति पैदा हो सकती है। करेंसी डीलर जफर पराचा ने स्थिति को 'खतरनाक' करार दिया है और आशंका जताई है कि डॉलर की बढ़ती मांग को देखते हुए ग्रीनबैक का मूल्य जल्द ही 200 रुपये तक पहुंच सकता है।
इस बीच, फॉरेक्स एसोसिएशन ऑफ पाकिस्तान के अध्यक्ष मलिक बोस्तन ने कहा कि इंटरबैंक बाजार खुले बाजार की तुलना में अधिक अस्थिर है जिसकी वजह से डॉलर की मांग में वृद्धि हुई थी। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि हज के लिए जाने के इच्छुक व्यक्ति सऊदी रियाल की कमी के कारण डॉलर खरीद रहे थे और इसके परिणामस्वरूप खुले बाजार में भी डॉलर के मूल्य में वृद्धि हुई। लेकिन, उनका मानना था कि ग्रीनबैक की मांग में यह वृद्धि कम थी।
उधर, आयातक और कराची चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के पूर्व अध्यक्ष अब्दुल्ला जकी ने रुपये में रिकॉर्ड गिरावट से होने वाली कठिनाइयों के बारे में बात करते हुए कहा कि आयातित वस्तुओं की कीमत बढ़ गई है और अंतत: उपभोक्ताओं को इसके परिणाम भुगतने होंगे।