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डेढ़ करोड़ फेसबुक यूजर्स की प्राइवेसी सेटिंग हुई प्रभावित, कंपनी ने मानी गलती दी सफाई

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Updated: June 8, 2018 11:26 IST

फेसबुक में आए इस बग की वजह यूजर्स की हर पोस्ट पब्लिक सेटिंग में ही पोस्ट हो रही भले ही उनकी प्राइवेसी सेटिंग में ऐसा करने पर रोक लगायी गई हो।

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दिल्ली, 08 जून: अमेरिकी कंपनी फेसबुक ने स्वीकार किया है कि सॉफ्वेयर बग ने करीब डेढ़ करोड़ यूजर्स की प्राइवेसी सेटिंग को प्रभावित किया है। इस बग की वजह यूजर्स की हर पोस्ट पब्लिक सेटिंग में ही पोस्ट हो रही भले ही उनकी प्राइवेसी सेटिंग में ऐसा करने पर रोक लगायी गई हो।

कई फेसबुक यूजर्स अपनी पोस्ट केवल फ्रेंडस या सेलेक्टेड फ्रेंडस के लिए पोस्ट करते  हैं। फेसबुक ने कहा है कि ये समस्या सुलक्षा ली गयी है। पिछले कुछ समय से फेसबुक यूजर्स के डाटा चोरी और उनकी प्राइवेसी सेटिंग के दुरुपयोग को लेकर विवादों में रहा है। 

फेसबुक बग की वजह से यूजर्स जब नई पोस्ट करते हैं तो उन्हें डिफाल्ट सजेशन मिलता है कि वो अपनी पोस्ट को पब्लिक कर दें। अगर यूजर्स इस सजेशन पर ध्यान नहीं देते तो उनकी पोस्ट पब्लिक हो जाती है, भले ही उन्होंने प्राइवेसी सेटिंग में "फ्रेंड्स वन्ली" का विकल्प चुना हो।

फेसबुक के चीफ प्राइवेसी अफसर एरिन एगन ने कहा कि इस बग की वजह से यूजर्स की पुरानी पोस्ट प्रभावित नहीं हुई हैं। एगन ने कहा कि फेसबुक उन सभी यूजर्स को सूचना भेज रहा है जिनको बग ने प्रभावित किया था। फेसबुक यूजर्स को बताएगा कि किस समय बग ने उन्हें प्रभावित किया था। फेसबुक ऐसे यूजर्स को सुझाव देगा कि बग से प्रभावित होने दौरान की पोस्ट की प्राइवेसी सेटिंग को वो दोबारा जांच लें।

फेसबुक को भारत सरकार ने भी गुरुवार (सात जून) को जवाब-तलब किया है। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार फेसबुक करीब एक दशक तक विभिन्न मोबाइल निर्माता कंपनियों के साथ यूजर्स का डाटा शेयर करता रहा था। इन कंपनियों में एप्पल, सैमसंग, हुवाई, एचटीसी जैसी कंपनियाँ शामिल हैं। फेसबुक ने यूजर्स को इस डाटा शेयरिंग के बारे में नहीं बताया था। फेसबुक का दावा था कि वो किसी भी तीसरी पार्टी को यूजर्स का डाटा नहीं देता लेकिन न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार ये झूठ था। फेसबुक ने एक बयान जारी करेक सफाई दी और कहा कि वो मोबाइल कंपनियों के साथ डाटा शेयर नहीं करता। फेसबुक ने भी माना कि वो एक दशक तक मोबाइल कंपनियों के साथ यूजर्स का डाटा शेयर करता था। फेसबुक ने कहा कि वो तकनीकी कारणों से अधिक से अधिक यूजर्स तक पहुँचने के लिए ऐसा करता था।

इससे पहले फेसबुक तब विवाद में आया था जब कैम्ब्रिज एनालिटिका नामक कंपनी पर करीब 8.7 करोड़ यूजर्स का डाटा विभिन्न चुनावों के प्रचार अभियान में करने का आरोप लगा। कैम्ब्रिज एनालिटिका ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के चुनाव प्रचार में भी इस फेसबुक के डाटा का इस्तेमाल किया था।

पूरी दुनिया में करीब 2.2 अरब फेसबुक यूजर्स हैं। विशेषज्ञों के अनुसार ये बग 18 मई से 27 मई तक एक्टिव था, लेकिन फेसबुक ने दावा किया है कि ये 22 मई को ही बंद कर दिया गया था। फेसबुक के अनुसार ये बग कुछ नए फीचर्स लाने के दौरान आ गया।

टॅग्स :फेसबुककैम्ब्रिज एनालिटिकानरेंद्र मोदी
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