वारसॉः पोलैंड के राष्ट्रपति चुनाव में रुढ़िवादी नेता करोल नवरोकी ने जीत हासिल कर ली है। सोमवार को मतगणना के अंतिम आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। इसके मुताबिक, नवरोकी को बेहद करीबी मुकाबले में 50.89 फीसदी मत हासिल हुए जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी वारसॉ के मेयर रफाल त्राज्स्कोव्स्की को 49.11 प्रतिशत वोट मिले। इस चुनावी मुकाबले में उदारवादी यूरोपीय संघ समर्थक त्राज्स्कोव्स्की का मुकाबला दक्षिणपंथी ‘लॉ एंड जस्टिस पार्टी’ द्वारा समर्थित रूढ़िवादी इतिहासकार करोल नवरोकी से था। करीबी मुकाबले पर दो सप्ताह पहले शुरू हुए चुनाव के पहले दौर से लेकर सोमवार की सुबह तक देश की नजर रही और इससे स्पष्ट हुआ कि इस देश में गहरे मतभेद मौजूद हैं। रविवार शाम को जारी एक प्रारंभिक एग्जिट पोल में दावा किया जा रहा था कि त्राज्स्कोव्स्की जीत की ओर अग्रसर हैं।
हालांकि कुछ घंटे बाद नतीजों ने तस्वीर उलट दी। परिणाम से यह संकेत मिलता है कि पोलैंड अपने नए नेता के नेतृत्व में अधिक राष्ट्रवादी मार्ग अपना सकता है। उन्हें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का समर्थन प्राप्त है। त्राज्स्कोव्स्की ने सोमवार को हार स्वीकार करते हुए नवरोकी को बधाई दी। साथ ही उन्होंने अपने सभी मतदाताओं को धन्यवाद दिया।
उन्होंने ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा, ‘‘मैंने एक मजबूत, सुरक्षित, ईमानदार और सहानुभूतिपूर्ण पोलैंड के निर्माण के लिए लड़ाई लड़ी। मुझे खेद है कि मैं पोलैंड के लिए अपने दृष्टिकोण के बारे में अधिकांश नागरिकों को नहीं समझा पाया। मुझे खेद है कि हम जीत नहीं पाए।’’ यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने सोमवार को नवरोकी को बधाई दी और पोलैंड को अहम पड़ोसी बताया।
हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान ने नवरोकी की ‘‘शानदार जीत’’ की सराहना की। इस बीच, यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने बधाई दी तथा साझा लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित यूरोपीय संघ-पोलैंड सहयोग जारी रखने पर जोर दिया। नवरोकी, मौजूदा राष्ट्रपति आंद्रेज डूडा का स्थान लेंगे, जो एक रूढ़िवादी नेता हैं और उनका दूसरा और अंतिम कार्यकाल छह अगस्त को समाप्त हो रहा है।
पोलिश संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति का कार्यकाल पांच वर्ष का होता है तथा उन्हें एक बार पुनः निर्वाचित किया जा सकता है। पोलैंड की राजनीतिक व्यवस्था में अधिकांश शक्ति संसद द्वारा चुने गए प्रधानमंत्री के पास होती है। हालांकि, राष्ट्रपति की भूमिका केवल औपचारिक नहीं होती। राष्ट्रपति के पास विदेश नीति को प्रभावित करने और कानून को वीटो करने की शक्ति होती है।