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पाकिस्तानी सेना 45 हजार एकड़ जमीन पर करेगी खेती, इस वजह से किया गया फैसला

By शिवेंद्र कुमार राय | Updated: March 17, 2023 22:09 IST

पाकिस्तानी सेना को फसल उत्पादन बढ़ाने के लिए खेती करने की अनुमति दी गई है। यह पूरा प्रोजेक्ट एक ज्वाइंट वेंचर है। परियोजना को सफल बनाने के लिए सेना प्रबंधन स्तर पर एक भूमिका निभाएगी। भूमि का स्वामित्व प्रदेश सरकार के पास रहेगा। बताया गया है कि इस पूरी परियोजना से पाकिस्तानी सेना को कोई आर्थिक फायदा नहीं होगा।

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ठळक मुद्देपाकिस्तान पिछले कुछ महीनों से आर्थिक संकट से जूझ रहा हैपाकिस्तान सेना अब खेती करने जा रही है45,267 एकड़ जमीन पाकिस्तानी सेना को सौंपी गई

नई दिल्ली: पाकिस्तान की सेना अब खेती भी करेगी। पंजाब की कार्यवाहक सरकार ने 'कॉर्पोरेट कृषि खेती' के लिए प्रांत के तीन जिलों भक्कर, खुशाब और साहीवाल में कम से कम 45,267 एकड़ जमीन पाकिस्तानी सेना को सौंपने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।

एक दस्तावेज के अनुसार, सेना के भूमि निदेशालय ने पंजाब के मुख्य सचिव, राजस्व बोर्ड और कृषि, वन, पशुधन और सिंचाई विभागों के सचिवों को भक्कर में कलूर कोट और मनकेरा तहसीलों में 42,724 एकड़ जमीन, 1,818 एकड़ जमीन सौंपने के लिए लिखा था। पाक सेना ने खुशाब और साहिवाल में  725 एकड़ जमीन की मांग की थी।

पाकिस्तानी सेना को फसल उत्पादन बढ़ाने के लिए खेती करने की अनुमति दी गई है। यह पूरा प्रोजेक्ट एक ज्वाइंट वेंचर है। परियोजना को सफल बनाने के लिए सेना प्रबंधन स्तर पर एक भूमिका निभाएगी। भूमि का स्वामित्व प्रदेश सरकार के पास रहेगा। बताया गया है कि इस पूरी परियोजना से पाकिस्तानी सेना को कोई आर्थिक फायदा नहीं होगा। 

पाकिस्तान के प्रमुख समाचार पत्र डॉन के अनुसार इस परियोजना का प्रबंधन सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारियों द्वारा किया जाएगा और सेना को इस परियोजना से कोई आर्थिक लाभ नहीं मिलेगा, बल्कि खेती से होने वाला लाभ स्थानीय लोगों, पंजाब सरकार और परियोजना में निवेश करने वाली फर्मों को जाएगा। खेती से उत्पन्न राजस्व का कम से कम 40 फीसदी पंजाब सरकार को जाएगा, 20 प्रतिशत कृषि क्षेत्र में आधुनिक अनुसंधान और विकास पर खर्च किया जाएगा, जबकि शेष का उपयोग बाद की फसलों और परियोजना के विस्तार के लिए किया जाएगा। पाकिस्तान में साल 2022 में कृषि की विकास दर घट कर 2.5 प्रतिशत रह गई है। 

बता दें कि पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति इन दिनों अच्छी नहीं है। देश मदद के लिए आईएमएफ की तरफ देख रहा है। लेकिन आइएमएप ने कर्ज देने के बदले कई तरह की शर्तें भी लगाई हैं। इसमें से एक शर्त है कि पाकिस्तान लंबी दूरी तक मार करने वाली परमाणु मिसाइल परियोजना का परित्याग कर दे। हालांकि पाक इसके लिए किसी भी कीमत पर राजी नहीं है।

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