पत्रकारों को नोबेल शांति पुरस्कार याद दिलाता है कि प्रेस की स्वतंत्रता खतरे में है

By भाषा | Updated: October 9, 2021 14:01 IST2021-10-09T14:01:28+5:302021-10-09T14:01:28+5:30

Nobel Peace Prize Reminds Journalists That Press Freedom Is at Risk | पत्रकारों को नोबेल शांति पुरस्कार याद दिलाता है कि प्रेस की स्वतंत्रता खतरे में है

पत्रकारों को नोबेल शांति पुरस्कार याद दिलाता है कि प्रेस की स्वतंत्रता खतरे में है

(कैथी कीले, यूनिवर्सिटी ऑफ मिसूरी-कोलंबिया)

कोलंबिया (अमेरिका), नौ अक्टूबर (द कन्वरसेशन) करीब 32 साल पहले मैं जर्मनी में थी और बर्लिन की दीवार गिराये जाने की घटना की रिपोर्टिंग कर रही थी। इस घटना को पश्चिमी लोकतंत्र उदारवाद तथा ‘इतिहास के अंत’ के रूप में देखा गया।

लेकिन आज के समय में दुनियाभर में लोकतंत्र का हाल बहुत अच्छा नहीं है। नोबेल पुरस्कार समिति ने आठ अक्टूबर 2021 को एक शक्तिशाली चेतावनी जारी की है जो इस बात को रेखांकित करती है। इसमें समिति ने नोबेल शांति पुरस्कार दो पत्रकारों को देने का फैसला किया है।

नॉर्वे स्थित नोबेल समिति की अध्यक्ष बेरिट रीस-एंडर्सन ने मारिया रेसा और रूसी पत्रकार दमित्री मुरातोव के लिए पुरस्कार की घोषणा करते हुए कहा, ‘‘वे ऐसी दुनिया के सभी पत्रकारों के प्रतिनिधि हैं जिसमें लोकतंत्र और प्रेस की स्वतंत्रता को लगातार प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है।’’

मुरातोव 1993 में स्वतंत्र रूसी समाचार पत्र नोवाया गजेटा के संस्थापकों में से एक हैं। उन्हें तथा फिलीपीन की समाचार वेबसाइट ‘रैपलर’ की सीईओ रेसा को यह सम्मान मिलना बहुत महत्वपूर्ण है। कुछ हद तक यह इसलिए है कि वैश्विक ध्यान इन दो पत्रकारों को अपने-अपने देशों को चलाने वाले मजबूत लोगों से आसन्न और निरंतर खतरे की ओर जाए, जिससे इन्हें सुरक्षा मिल सके।

नोबेल पुरस्कार की घोषणा के बाद रीस एंडरर्सन ने एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘दुनिया देख रही है।’’

इतना ही महत्वपूर्ण था वह संदेश जो समिति देना चाहती थी। एंडर्सन ने कहा, ‘‘मीडिया के बगैर, मजबूत लोकतंत्र नहीं हो सकता।’’

मुरातोव के समाचार पत्र के बारे में समिति ने कहा कि वह ‘‘रूस में आज सबसे स्वतंत्र अखबार है’’। इस अखबार के छह कर्मियों को रूसी नेता व्लादिमीर पुतिन की आलोचना करने पर मार दिया गया।

राष्ट्रपति रोड्रिगो दुतेर्ते के शासन ने रेसा को कंगाल करने के प्रयासों के तहत वेबसाइट के खिलाफ अनेक कानूनी मामले दर्ज करवाए और ऐसे में देश से बाहर जाने के लिए रेसा को हर बार न्यायाधीशों की अनुमति लेने की जरूरत पड़ती है।

रीस एंडर्सन से जब यह पूछा गया कि शांति पुरस्कार प्रेस स्वतंत्रता के लिए काम करने वाले संगठनों जैसे कि रेसा का प्रतिनिधित्व करने वाली कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट के बजाए दो पत्रकारों को क्यों दिया गया? इस सवाल के जवाब में रीस ने कहा कि नोबेल समिति ने दो कामकाजी पत्रकारों को जानबूझकर चुना है।

उन्होंने कहा कि रेसा और मुरातोव ‘उच्च श्रेणी की पत्रकारिता’ के ‘स्वर्ण मानकों’ का प्रतिनिधित्व करते हैं। अन्य शब्दों में कहें तो वे तथ्यों की पड़ताल करते हैं और सचाई का पता लगाते हैं। रीस ने कहा, ‘‘मुक्त, स्वतंत्र एवं तथ्य आधारित पत्रकारिता सत्ता के दुरुपयोग के खिलाफ रक्षा करती है।

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Web Title: Nobel Peace Prize Reminds Journalists That Press Freedom Is at Risk

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