नई दिल्ली: ब्रिटेन सत्ता बदल चुकी है। लेबर पार्टी के नेता कीर स्टार्मर देश के अगले प्रधानमंत्री होंगे। स्टार्मर के प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत के साथ संबंधों पर क्या असर होगा इसकी चर्चा जारी है। दरअसल लेबर पार्टी के पिछले नेता जेरेमी कॉर्बिन को भारत विरोधी माना जाता था। कश्मीर के संबंध में जेरेमी कॉर्बिन ने भारत विरोधी बयान दिए थे और इस मामले में हमेशा उनका रुख भारत सरकार से उल्टा नजर आया। लेकिन कीर स्टार्मर के नेतृत्व में पार्टी के रुख में बदलाव आया है।
स्टार्मर ने अपने चुनावी घोषणापत्र में वादा किया था कि सत्ता में आने के बाद भारत के साथ "नई रणनीतिक साझेदारी" को आगे बढ़ाया जाएगा। उन्होंने मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर भी जोर दिया था। एफटीए से व्यापार और निवेश बढ़ सकता है। साथ ही प्रौद्योगिकी और सुरक्षा के क्षेत्रों में सहयोग से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दोनों देशों की ताकत बढ़ेगी।
हालांकि कीर स्टार्मर के सामने भी इमिग्रेशन पॉलिसी एक बड़ी चुनौती है। बड़ी संख्या में भारतीय ब्रिटेन में रहते हैं। आप्रवासन के मुद्दे पर ब्रिटेन में द्विदलीय सहमति है कि आप्रवासन को कम करना होगा। इसकी वजह से भारत के साथ व्यापार समझौते को विरोध का सामना करना पड़ सकता है।
भारत को एफटीए से सबसे अधिक लाभ होने की उम्मीद है। भारत अपने सेवा उद्योग में श्रमिकों के लिए अस्थायी वीजा की मांग कर रहा है। यूके बैंकिंग और आईटी सेवा क्षेत्रों में एक प्रमुख शक्ति है इसलिए इस क्षेत्र में भारतीयों को बड़े पैमाने पर नौकरी मिल सकती है। हालांकि ब्रिटेन में राजनीतिक स्थिति को देखते हुए लेबर पार्टी वीजा शर्तों को लेकर अड़ियल रुख अपना सकती है।
कीर स्टार्मर 2020 में जर्मी कोर्बिन की जगह लेबर पार्टी के नए नेता चुने गए थे। अब वह ब्रिटेन के अगले पीएम के रूप में देश की कमान संभालेंगे। ब्रिटेन में 650 संसदीय सीटें हैं। ब्रिटेन में सरकार बनाने के लिए 326 सीटें बहुमत का आंकड़ा है। अब तक लेबर पार्टी 411 सीटें जीत चुकी है।