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तालिबान की मजबूत होती पकड़ के बीच बाहर निकलने के लिए काबुल हवाईअड्डा ही एकमात्र रास्ता

By भाषा | Updated: August 14, 2021 22:56 IST

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काबुल, 14 अगस्त (एपी) तालिबान लड़ाकों के राजधानी काबुल के करीब पहुंचने के साथ ही युद्ध में जान बचाकर निकलने वालों और अभी भी अफगानिस्तान में मौजूद अमेरिकी राजनयिकों को सुरक्षित निकालने के लिये भेजे गए अमेरिकों सैनिकों के यहां आने के लिए एकमात्र जो रास्ता बचा है, वो काबुल अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा है।

इस बीच, हवाईअड्डा टर्मिनल के बाहर पार्किंग स्थल में बने टिकट काउंटर पर लोगों की भारी भीड़ देखी जा सकती है जोकि आगे बढ़ने के साथ ही अपना सामान, कालीन, टेलीविजन सेट, यादगार वस्तुओं और कपड़ों को समेटते दिखाई दे रहे हैं ताकि उनका सामान वजन ले जाने की सीमा को पार नहीं कर जाए।

वहीं, जिन भाग्यशाली लोगों को देश से कहीं भी बाहर जाने के विमान का टिकट मिल गया है, वे अपनी उड़ान का इंतजार करने के दौरान पीछे छूट रहे अपने प्रियजनों से लिपटकर रोते हुए विदा ले रहे हैं। जैसे-जैसे तालिबान करीब आ रहा है लोगों की घबराहट बढ़ रही है।

नाटो के साथ उप-ठेकेदार के तौर पर काम करने वाले नावीद अजीमी ने अपनी पत्नी और पांच बच्चों के साथ इस्तांबुल के लिए रवाना होने के दौरान कहा, '' इस युद्ध से दूर अपना नया जीवन शुरू करने के लिए जो भी जरूरी सामान में एकत्र कर सकता था, उसे ले जा रहा हूं।''

अजीमी को डर है कि नाटो से जुड़कर काम करने के चलते तालिबान उनकी हत्या कर देगा।

पूर्व में हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे के नाम से पहचाने जाने वाला काबुल हवाई अड्डा शहर के उत्तर-पूर्व में स्थित है, जहां सैन्य विमान उतारने के साथ ही 100 विमानों के संचालन की क्षमता है।

आम दिनों में जहां हवाईअड्डे पर पारंपरिक लिबास पहने अफगान नागरिक, चश्मा पहने एवं टैटू गुदे सैन्य ठेकेदार और दुनिया के तमाम हिस्सों के सहायता कर्मी टहलते नजर आते थे। वहीं, इस जगह पर अब काबुल छोड़ने को आतुर घबराए लोग दिखाई दे रहे हैं।

हवाईअड्डा कर्मचारियों ने बताया कि अफगान एयरलाइन एरियाना और कैम एयर की उड़ानों में कम से कम अगले सप्ताह तक सभी सीटें बुक हैं। इतना ही नहीं, जिन लोगों के पास टिकट है, उन्हें भी उड़ान में सवार होने के लिए कोरोना वायरस जांच रिपोर्ट दिखानी है।

एक अफगान कारोबारी फरीद अहमद यूनुसी ने कहा, '' मैंने हवाईअड्डे पर इससे पहले कभी इतनी भीड़ नहीं देखी।''

उन्होंने कहा कि वह कंधार में अपनी करीब दस लाख डॉलर की कंपनी छोड़कर भाग आए हैं क्योंकि तालिबान उनकी तलाश कर रहा था।

यूनुसी ने कहा, '' पूरी मेहनत से पिछले 20 सालों में जिन चीजों को मैंने जुटाया, वो सब कुछ अब तालिबान का है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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