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जापानः 2030 तक अपना खुद का नयी पीढ़ी का स्टील्थ लड़ाकू विमान विकसित करेगा, मित्सुबिशी हेवी इंडस्ट्रीज को ठेका

By भाषा | Updated: October 30, 2020 16:42 IST

जापान के रक्षा मंत्री नोबुओ किशी ने शुक्रवार को इसकी घोषणा की। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ हम अपने अगली पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के विकास को आगे बढ़ाएंगे।’’ चीन और उत्तर कोरिया जैसे पड़ोसी मुल्कों के साथ बढ़ते तनाव और खतरे के बीच जापान अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ा रहा है।

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ठळक मुद्देनयी पीढ़ी के लड़ाकू विमान विकसित करना उसकी मौजूदा लड़ाकू विमानों के बेड़े को आधुनिक बनाने की योजना का हिस्सा है। स्टील्थ विमान अत्याधुनिक लड़ाकू विमान होते हैं जो दुश्मन देश के राडार को चकमा देने में सक्षम होते हैं।अभी अगली पीढ़ी के स्टील्थ लड़ाकू विमानों को ‘एफ-एक्स’ नाम दिया गया है।

टोक्योः जापान 2030 तक अपना खुद का नयी पीढ़ी का स्टील्थ लड़ाकू विमान विकसित करेगा। इसे विकसित करने का मुख्य ठेका उसने मित्सुबिशी हेवी इंडस्ट्रीज को दिया है।

जापान के रक्षा मंत्री नोबुओ किशी ने शुक्रवार को इसकी घोषणा की। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ हम अपने अगली पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के विकास को आगे बढ़ाएंगे।’’ चीन और उत्तर कोरिया जैसे पड़ोसी मुल्कों के साथ बढ़ते तनाव और खतरे के बीच जापान अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ा रहा है।

नयी पीढ़ी के लड़ाकू विमान विकसित करना उसकी मौजूदा लड़ाकू विमानों के बेड़े को आधुनिक बनाने की योजना का हिस्सा है। अभी अगली पीढ़ी के स्टील्थ लड़ाकू विमानों को ‘एफ-एक्स’ नाम दिया गया है। स्टील्थ विमान अत्याधुनिक लड़ाकू विमान होते हैं जो दुश्मन देश के राडार को चकमा देने में सक्षम होते हैं।

जापान के नयी पीढ़ी के लड़ाकू विमान उसके मौजूदा एफ-2 विमानों का स्थान लेंगे। इनका विकास जापान ने अमेरिका की मदद से किया है। यह 2035 में सेवा से बाहर होंगे। जापान की वायु सेना के पास सभी तरह के करीब 290 लड़ाकू विमानों का बेड़ा है। जापान के रक्षा मंत्रालय ने नए विमानों के शोध एवं विकास के लिए 2021 के बजट में 58.7 अरब येन यानी 55.6 करोड़ डॉलर की मांग की है।

विमान को विकसित करने का मुख्य ठेका मित्सुबिशी को दिया गया है। वह परियोजना के तहत इंजन, कलपुर्जे और अन्य चीजों के लिए भागीदारों का चुनाव करेगी। जापान कुछ हिस्सों को विदेशी कंपनियों के साथ सह-विकसित करने पर भी विचार कर रहा है। इसमें अमेरिकी और ब्रितानी कंपनियां शामिल हो सकती हैं। 

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