वियना, 16 जुलाई मीडिया कर्मियों के एक वैश्विक नेटवर्क इंटरनेशनल प्रेस इंस्टीट्यूट (आईपीआई) ने पुलित्जर पुरस्कार विजेता भारतीय फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीके के अफगानिस्तान में मारे जाने पर शुक्रवार को शोक प्रकट किया।
आईपीआई ने इसे पत्रकारिता के लिए एक बहुत बड़ा नुकसान बताया और संघर्ष वाले क्षेत्रों से रिपोर्टिंग के दौरान पत्रकारों द्वारा सामना किये जाने वाले खतरों की याद दिलाई।
सिद्दीकी की उम्र 40 से 45 वर्ष के बीच थी। वह अफगानिस्तान में अपनी ड्यूटी पर थे, जब उनकी मौत हुई। कंधार शहर के स्पिन बोलदाक जिले में अफगान सैनिकों और तालिबान के बीच झड़पों की कवरेज करने के दौरान मारे गये।
आईपीआई ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘दानिश सिद्दीकी की मौत के बारे में जानकार आईपीआई बहुत दुखी है, वह हमारे समय के सर्वाधिक उत्कृष्ट फोटो पत्रकारों में से एक थे। पत्रकारिता को बड़ा नुकसान पहुंचा है। हम उनके परिवार और सहकर्मियों के साथ अपनी एकजुटता प्रदर्शित करते हैं।’’
उन्हें 2018 में फीचर फोटोग्राफी के लिए प्रतिष्ठित पुलित्जर पुरस्कार मिला था। म्यामां के अल्पसंख्यक रोहिंग्या समुदाय द्वारा सामना किये जाने वाली हिंसा को तस्वीरों में उतारने का काम करने को लेकर उन्हें अपने एक सहकर्मी और पांच अन्य के साथ पुलित्जर पुरस्कार दिया गया था।
उन्होंने अफगान संघर्ष, हांगकांग प्रदर्शन और एशिया, मध्य पूर्व और यूरोप में अन्य बड़ी घटनाओं को व्यापक रूप से कवर किया था।
आईपीआई उपनिदेशक स्कॉट ग्रिफेन ने एक यबान में कहा , ‘‘रॉयटर टीम के सदस्य के तौर पर उन्होंने हाल के वर्षों में कुछ सबसे बड़ी अंतरराष्ट्रीय घटनाओं को शानदार तरीके से इतिहास के पन्नों में संजोया। उनके द्वारा ली गई तस्वीरें दुनिया भर में करोड़ों लोगों तक पहुंची और सराही गई। ’’
आईपीआई के मुताबिक दानिश, इस साल अफगानिस्तान में मारे गये पांचवें पत्रकार हैं।
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