सुरक्षा परिषद के सुधारों पर अंतर-सरकारी वार्ताओं का इस्तेमाल अब और ‘पर्दे’ के तौर पर नहीं किया जा सकता: भारत

By भाषा | Published: June 23, 2021 09:53 PM2021-06-23T21:53:22+5:302021-06-23T21:53:22+5:30

Inter-governmental talks on Security Council reforms can no longer be used as 'veils': India | सुरक्षा परिषद के सुधारों पर अंतर-सरकारी वार्ताओं का इस्तेमाल अब और ‘पर्दे’ के तौर पर नहीं किया जा सकता: भारत

सुरक्षा परिषद के सुधारों पर अंतर-सरकारी वार्ताओं का इस्तेमाल अब और ‘पर्दे’ के तौर पर नहीं किया जा सकता: भारत

संयुक्त राष्ट्र, 23 जून भारत ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधारों पर अंतर-सरकारी वार्ता (आईजीएन) का अब और ‘पर्दे’ (स्मोकस्क्रीन) के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने देशों की सरकारों के बीच बातचीत के कार्यक्रम को अगले सत्र तक स्थगित करने का फैसला किया है तथा जी-4 देशों (ब्राजील, जर्मनी, भारत और जापान) द्वारा प्रस्तावित एक संशोधन को शामिल करने पर सहमति बनी है।

संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में सुधार पर फैसले को आम-सहमति से स्वीकार किया जिसमें अंतर-सरकारी वार्ता के कार्यक्रम को महासभा के 76वें सत्र तक स्थगित करने का फैसला किया गया है जो सितंबर में शुरू होगा।

महासभा के 75वें सत्र के अध्यक्ष वोल्कन बोजकिर ने एक ट्वीट में कतर की स्थायी प्रतिनिधि तथा आईजीएन की सह-अध्यक्ष राजदूत आल्या अल-थानी का इसके लिए शुक्रिया अदा किया।

भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अत्यावश्यक सुधार के लिए ब्राजील, जापान तथा जर्मनी के साथ मिलकर जोर दे रहा है। भारत 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट चाहता है। वह सुधार के बाद सुरक्षा परिषद में अफ्रीकी प्रतिनिधित्व की भी वकालत करता है।

जी-4 देशों ने मसौदा मौखिक फैसले में इन पंक्तियों को शामिल करने के लिए संशोधन का प्रस्ताव रखा था कि ‘‘(...) और दुनिया भर के लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाले राष्ट्र प्रमुखों तथा शासनाध्यक्षों की सुरक्षा परिषद के सुधार पर चर्चा में नयी जान फूंकने की प्रतिबद्धता’’।

आईजीएन के कामकाज को अगले सत्र तक स्थगित करने के यूएनजीए के फैसले में जी-4 देशों का प्रस्तावित संशोधन शामिल है। यह समूह यूएनएससी में लंबे समय से प्रतीक्षित सुधारों के लिए गति तेज करने के बहुपक्षीय प्रयासों पर जोर दे रहा है।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी एस तिरुमूर्ति ने मंगलवार को महासभा में कहा, ‘‘मैंने पहले भी कई मौकों पर कहा है कि आईजीएन का इस्तेमाल अब लंबे समय तक पर्दे (स्मोकस्क्रीन) के रूप में नहीं किया जा सकता। आज इस संशोधित फैसले के साथ हम इस उम्मीद को लेकर अगले सत्र की ओर बढ़ेंगे कि हम अंतत: सुरक्षा परिषद के बहुप्रतीक्षित सुधार की ओर निर्णायक प्रगति के लिए मिलकर काम कर सकेंगे।’’

तिरुमूर्ति ने कहा कि ‘‘हमारे फैसले में ‘नयी जान डालने’ के ‘हमारे नेताओं’ के वादे को शामिल करने पर सहमति जताकर हम एक बार फिर दोहरा रहे हैं कि हम आईजीएन में जिस काम में लगे हैं वह केवल अकादमिक चर्चाओं की श्रृंखला मात्र नहीं है। हमारा कार्यक्षेत्र सुरक्षा परिषद में सुधार पर काम करना है, न केवल अनंतकाल तक इस पर चर्चा करते रहना है।’’

भारत ने कहा कि उसे खुशी है कि कतर का प्रस्ताव रोल-ओवर फैसले में इस अहम पहलू को शामिल करा पाया है। तिरुमूर्ति ने कहा, ‘‘जैसा कि हमने पिछले कुछ महीने में इस बात पर जोर दिया है कि हम आईजीएन के रोल-ओवर के फैसले को तकनीकी औपचारिकता के रूप में ही नहीं देखते, बल्कि आईजीएन की बैठकों में हुई प्रगति को हासिल करने के सार्थक उपाय के रूप में तथा आगे की दिशा में बढ़ने के रूप में देखते हैं।’’

संयुक्त राष्ट्र में जर्मन राजदूत क्रिस्टोफ ह्यूसन ने पिछले सप्ताह सुरक्षा परिषद सुधार पर महासभा के पूर्ण सत्र के दौरान बोजकिर की कड़ी आलोचना की थी। उन्होंने कहा था कि ‘‘जब हमने कम से कम जी4 समूह के साथ परामर्श से पहले ही पिछले हफ्ते आपसे इस फैसले के बारे में सुना तो स्तब्ध रह गये।

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Web Title: Inter-governmental talks on Security Council reforms can no longer be used as 'veils': India

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