इस्लामाबाद: पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को इस्लामाबाद हाईकोर्ट से उस समय बड़ी राहत मिली जब हाईकोर्ट ने तोशाखाना विवाद में उन्हें अयोग्य करार दिये जाने के बाद खाली हुई उनकी सीट पर उपचुनाव कराने के चुनाव आयोग के फैसले पर रोक लगा दी है।
हाईकोर्ट ने सोमवार को पाकिस्तान के चुनाव आयोग आदेश दिया कि वो NA-95 (मियांवाली) सीट पर उपचुनाव न कराए। अयोग्यता से पहले इमरान खान इसी सीट से चुनाव जीतकर मियांवाली क्षेत्र की नुमाइंदगी करते थे। कोर्ट ने यह फैसला इमरान खान द्वारा चुनाव आयोग से उन्हें अयोग्य घोषित ठहराये जाने के खिलाफ दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।
पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने संविधान के अनुच्छेद 63 (1) (पी) के तहत तोशाखान विवाद में उन्हें अयोग्य करार दिये जाने के कुछ दिनों के बाद मियांवाला में उपचुनाव कराये जाने का ऐलान किया था। जिसके खिलाफ पीटीआई प्रमुख इमरान खान ने इस्लामाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती दी गई थी।
इमरान ने याचिका में कहा चुनाव आयोग ने उनके द्वारा प्रधानमंत्री रहते हुए तोशाखाना उपहारों की बिक्री से होने वाली आय का ठीक से हिसाब नहीं किया है। इसके साथ ही खान ने कोर्ट से अपील की थी कि वो चुनाव आयोग के आदेश को गलत घोषित करते हुए मामले को खारिज करे।
इस्लामाबाद हाईकोर्ट में आज सुनवाई के दौरान इमरान खान के वकील अली जफर ने कोर्ट से कहा कि उनके मुवक्किल को चुनाव आयोग ने एनए-95 (मियांवाली) सीट से डी-नोटिफाई किया है।
मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस आमिर फारूक ने पूछा कि क्या नेशनल असेंबली के अध्यक्ष ने इमरान खान को अयोग्य ठहराये जाने का समर्थन किया है। जिस पर इमरान के वकील ने हां में जवाब देते हुए कहा कि चुनाव आयोग ने अनुच्छेद 63 (1) (पी) के तहत पूर्व प्रधानमंत्री को तोशाखाना विवाद में अयोग्य घोषित किया था।
इसके बाद जस्टिस आमेर फारूक ने सवाल किया कि क्या नेशनल असेंबली के अध्यक्ष एक सांसद को चुनाव आयोग द्वारा "सजा" के लिए निर्देशित किये जाने के बाद उसे अयोग्य घोषित कर सकते हैं। इसके साथ ही उन्होंने यह भी पूछा कि क्या नेशनल असेंबली के प्रमुख ने उनकी अयोग्यता का मसौदा खुद तैयार किया था।
उन्होंने कहा कि नेशनल असेंबली के प्रमुख ने अपने रेफरेंस में कहा है कि इमरान कान अब सादिक और अमीन (ईमानदार और धर्मी) नहीं रह गये हैं।
इसके जवाब में खान के वकील जफर ने कहा कि चुनाव आयोग के अनुसार वो चुनाव अधिनियम के तहत किसी को भी अयोग्य घोषित कर सकता है। सुनवाई के दौरान अदालत ने यह भी पूछा कि क्या आयोग में प्रत्येक विधायक ने सालाना संपत्ति का विवरण जमा किया है।
जिसके जवाब में पीटीआई के वकील ने कहा कि सभी विधायकों को अपनी संपत्ति का विवरण देना होता है। उन्होंने कहा कि लेकिन उन संपत्तियों को वैसी संपत्तियों को शामिल नहीं किया जाना चाहिए, जो बेच दी गई हों।
सभी दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने चुनाव आयोग और नेशनल असेंबली को नोटिस जारी किया और मामले में अगली सुनवाई के लिए 10 नवंबर की तारीख दे दी। इसके साथ ही अदालत ने केस के रिकॉर्ड में अतिरिक्त दस्तावेजों को शामिल करने के लिए इमरान द्वारा दायर आवेदन को भी स्वीकार कर लिया।
केस की सुनवाई के बाद मीडिया से बात करते हुए इमरान खान के वकील जफर ने कहा कि इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने आज एक तरह से चुनाव आयोग के फैसले को निलंबित कर दिया है क्योंकि इसे लागू ही नहीं किया जा सकता है।
इसके साथ ही उन्होंने जोर देकर कहा कि इमरान खान के खिलाफ चुनाव आयोग का दिया फैसला कानूनी और संवैधानिक रूप से पूरी तरह से गलत है।