16 वर्षीय ग्रेटा थनबर्ग मूल रूप से स्वीडन की रहने वाली हैं और कड़ी मेहनत के चलते उनकी छवि स्वीडन की जलवायु कार्यकर्ता से वैश्विक जलवायु कार्यकर्ता की हो चुकी है। सोमवार (23 सितंबर) को ग्रेटा ने संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन में जलवायु संकट को लेकर अपने तीखे भाषण से वैश्विक नेताओं समेत दुनियाभर का ध्यान खींचा।
जलवायु संकट को लेकर ग्रेटा की मुहिम करीब सालभर पहले शुरू हुई। ग्रेटा से प्ररित होकर दूसरे छात्र अपने-अपने समुदायों में इसी तरह के आंदोलनों से जुड़ गए। उन्होंने मिलकर 'फ्राइडेज फॉर फ्यूचर' नाम के बैनर तले स्कूल क्लाइमेट स्ट्राइक आंदोलन चलाया।
ग्रेटा से प्रेरित छात्र जलवायु संकट को लेकर दुनिया के किसी न किसी हिस्से में हर हफ्ते प्रदर्शन करते हैं। 2019 में कम से कम दो ऐसे बड़े आंदोलन हुए जिनमें कई शहरों के लाखों लोगों ने हिस्सा लिया। थनबर्ग सार्वजनिक तौर पर, नेताओं के बीच या सभाओं में अपने मुद्दे पर स्पष्ट बोलने के लिए जानी जाती हैं जिसमें वह जलवायु संकट को लेकर तत्काल उपाय करने का आह्वान करती
अग्रेजी अखबार द गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रेटा थनबर्ग लाखों लोगों में से किसी एक को होने वाली दुर्लभ बीमारी एस्पर्जर्स सिंड्रोम से ग्रसित हैं। सरल शब्दों में इसे चयनात्मक गूंगापन कहते हैं लेकिन सभाओं में जब अपने विषय पर बोलती हैं तो ऐसा मालूम नहीं होता है।
ग्रेटा के पिता स्वांते थनबर्ग पेशे से कलाकार हैं और मां मलेना अर्नमैन ओपेरा गायक। ग्रेटा की बातों से प्रभावित होकर मां ने हवाई यात्राएं करना बंद कर दिया और पिता वीगन (वे लोग जो केवल शाक-सब्जियों को भोजन में शामिल करते हैं) हो गए हैं।
जलवायु परिवर्तन को लेकर स्कूल आंदोलन चलाने की शुरुआत ग्रेटा ने शिक्षकों द्वारा इस विषय की गंभीरता को लेकर ध्यान खींचे जाने के बाद की। ग्रेटा और उनके माता पिता को भी पता नहीं था कि वह वैश्विक आंदोलन का हिस्सा हो जाएंगी।
ग्रेटा कहती है कि पिछले वर्ष अगस्त में जब स्वीडन की संसद के बाहर लकड़ी के बोर्ड पर वह कुछ संदेश लिखकर बैठीं तो वह अकेली थीं। लोग वहां से गुजरते और उन्हें देखते हुए चले जाते थे लेकिन धीरे-धीरे लोग जुड़ने लगे।
ग्रेटा का कहना है कि है लोग अपनी चिंताओं को लेकर बात करते हैं लेकिन काम नहीं करते हैं। ग्रेटा दुनिया के किसी भी देश की यात्रा हवाई जहाज के बजाय ट्रेन से करती हैं लोगों को जागरुक करती हैं कि वे ऐसे काम न करें जिनसे पर्यावरण प्रदूषित होता है।
ग्रेटा सामाजिक कार्यकता होते हुए भी एक छात्रा है और अपनी मुहिम के साथ-साथ पढ़ाई के कार्यों को मिलाकर वह दिन में 12-15 घंटे काम करती हैं।
मई में थनबर्ग को मशहूर पत्रिका 'टाइम' ने अपने कवर पेज पर जगह दी थी। टाइम ने उन्हें 'अगली पीढ़ी का नेता' कहा था और यह भी कहा था कि कई लोग उन्हें रोल मॉडल के तौर पर देखते हैं।
उनके ऊपर 'ग्रेटा थनबर्ग इफेक्ट' के शीर्षक से करीब आधे घंटे की डॉक्युमेंट्री फिल्म बन चुकी है, जिसे लेकर कई मीडिया संस्थानों ने उनकी तारीफ की है।
ग्रेटा के भाषण का वीडियो यहां देखें-
ग्रेटा कहती हैं कि स्कूल में जलवायु परिवर्तन से जुड़ी डॉक्युमेंट्री और चित्र शिक्षकों ने दिखाए तो कक्षा के अन्य बच्चे उसे देखे जाने के समय तो चिंतित दिखे लेकिन बाद में दूसरी बातों में व्यस्त हो गए लेकिन वे दृश्य मेरे जहन में अटक गए। कई दिनों तक मैं उसी के बारे में सोचती रही। फिर मुझे लगा कि सोचने से कुछ नहीं होता, चिंता तो पूरी दुनिया कर रही है, इसके लिए कुछ करना होगा और मैंने यूं ही आंदोलन शुरू कर दिया।