नई दिल्ली: फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने सलमान रश्दी पर किए गए जानलेवा हमले की निंदा की है और कहा है कि 'उनकी लड़ाई हमारी लड़ाई है'। फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने ट्विटर पर लिखा कि पिछले 33 वर्षों से सलमान रश्दी स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की आजादी के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। वह नफरत और बर्बरता की ताकतों के कायरतापूर्ण हमले के शिकार हुए हैं। उनकी लड़ाई हमारी लड़ाई है। यह लड़ाई अब सार्वभौमिक है। अब हम उनके साथ पहले से ज्यादा मजबूती से खड़े हैं।
ब्रिटेन के प्रधान मंत्री बोरिस जॉनसन ने भी हमले की निंदा की और लिखा कि वह सर सलमान रश्दी पर चाकू से हुए हमले से हैरान हैं। बोरिस जॉनसन ने कहा कि मेरी संवेदनाएं उनके चाहने वालों के साथ हैं। हम सभी उम्मीद कर रहे हैं कि वह जल्दी ठीक हों।
बता दें कि भारतीय मूल के ब्रिटिश लेखक सलमान रश्दी पर शुक्रवार को अमेरिका के न्यूयॉर्क में चाकू से हमला हुआ था। सलमान रश्दी न्यूयॉर्क के चौटाउक्वा संस्थान के एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने आए थे। हमले में रश्दी को गंभीर चोटे आई हैं और वह अब भी अस्पताल में जिंदगी और मौत की जंग से जूझ रहे हैं। फिलहाल वह वेंटिलेटर पर हैं और कुछ भी बोल नहीं पा रहे हैं। पुलिस ने रश्दी पर हमला करने वाले शख्स 24 वर्षीय हादी मतर को गिरफ्तार कर लिया है। हमलावर न्यू जर्सी का रहने वाला है। बताया जा रहा है कि हमलावर हादी मतर ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड से काफी प्रभावित था। उसके सोशल मीडिया प्रोफाइल की जांच के बाद पता चला कि वह कट्टरपंथियों से बेहद प्रभावित था।
रश्दी पर ईरान ने जारी किया था फतवा
सलमान रश्दी अपनी किताब 'द सैटेनिक वर्सेज' के लिए लंबे समय के लिए मुस्लिम कट्टरपंथियों के निशाने पर थे। पिछले कई सालों से उन्हें जान से मारने की धमकियां मिल रही थीं। सलमान रश्दी को साल 1981 में उनकी किताब मिडनाइट चिल्ड्रन के लिए बुकर पुरस्कार भी मिला था। रश्दी की किताब सटैनिक वर्सेज के प्रकाशन के एक साल बाद 1989 में ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह रूहुल्लाह खमेनई ने सलमान रश्दी की हत्या का आह्वान करते हुए फतवा जारी कर दिया था। तब से रश्दी लगातार जान से मारने की धमकियों का सामना कर रहे थे।