इस्लामाबाद ने यूएनएससी के रिजॉल्यूशन 1267 का पालन करने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए हैं और ना ही लश्कर-ए-तैयार और जमात-उद-दावा जैसे संगठनों पर कड़ी कार्रवाई की है। ग्लोबल एंटी-टेरर फाइनेंसिंग ग्रुप ने इसकी जानकारी दी है। एफएटीएफ ने भी अपनी रिपोर्ट में पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक पर आंतकियों के वित्तीय पोषण पर लगाम ना लगा पाने की वजह से लताड़ लगाई है। अगले हफ्ते एफएटीएफ की बैठक से पहले इस रिपोर्ट को पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। गौरतलब है कि पाकिस्तान पहले से ही ग्रे सूची में डाला गया है।
धन शोधन पर नजर रखने वाली संस्था वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) ने पिछले साल पाकिस्तान को उन देशों की सूची में डाल दिया था, जिनके आंतरिक कानून धन शोधन और आतंकवाद को वित्तीय मदद पर लगाम लगाने में बहुत कमजोर माने जाते हैं। पेरिस स्थित संस्था एफएटीएफ ने पाकिस्तान को अक्टूबर तक उसकी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने या कार्रवाई झेलने के प्रति आगाह किया था। कार्रवाई के तहत देश का नाम काली सूची में भी डाला जा सकता है।
खबरों के मुताबिक, अक्टूबर में पूर्ण बैठक के पहले बैंकाक में एफएटीएफ की अंतिम समीक्षा के पहले पाकिस्तान ने खराब प्रदर्शन किया है। कैबिनेट के एक सदस्य ने ‘द न्यूज’ से कहा, ‘‘एफएटीएफ अगले महीने अक्टूबर में बैठक करने जा रहा है, जहां पाकिस्तान के भविष्य का फैसला होगा। उसी महीने आईएमएफ छह अरब कर्ज योजना के तहत पाकिस्तान के प्रदर्शन के पहली तिमाही की समीक्षा की शुरूआत करेगा।’’
सरकार राजस्व संकट का सामना कर रही है और आईएमएफ के निर्देश पर और कर लगाने के लिए मिनी बजट लाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। सरकार (जनता पर) और कर नहीं लगाना चाहती है और यह तभी मुमकिन होगा जब अमेरिका आईएमएफ से राहत दिलाने में अपनी भूमिका निभाएगा।
समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा से इनपुट्स लेकर