म्यांमार में रोहिंग्या के खिलाफ नफरत फैलाने के लिए सोशल मीडिया जिम्मेदार
By कोमल बड़ोदेकर | Published: March 14, 2018 04:24 AM2018-03-14T04:24:07+5:302018-03-14T04:24:07+5:30
बीते साल करीब 6,50,000 रोहिंग्या मुस्लिम म्यांमार से पलायन कर चुके हैं।
न्यूयॉर्क, 14 मार्च । संयुक्त राष्ट्र ने मंगलवार को चेतावनी देते हुए बताया कि कैसे सोशल मीडिया पर बड़े पैमाने पर नफरत फैलाने का किया जा रहा है और फेसबुक के जरिए संकटग्रस्त म्यांमार में रोहिंग्या के खिलाफ नफरत और जातीय हिंसा फैल रही है। जेनेवा में चल रहे मानव अधिकार सम्मेलन के दौरान यह चौकाने वाले तथ्य सामने आए।
संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार विशेषज्ञों ने राखीन राज्य में संभावित नरसंहार की जांच करते हुए चेतावनी दी थी कि फेसबुक अतिवादी राष्ट्रवादी बौद्धों द्वारा रोहंग्या और अन्य जातीय अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और नफरत पैदा करने के लिए उपयोग किया जा रहा है। बीते साल करीब 6,50,000 रोहिंग्या मुस्लिम यहां से पलायन कर चुके हैं।
#Facebook spreading hate speech in #Myanmar, says #UN
— ANI Digital (@ani_digital) March 13, 2018
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संयुक्त राष्ट्र द्वारा फेसबुक पर की गई यह टिप्पणी सोशल मीडिया के नकारात्मक इस्तेमाल के स्तर की हदों को दर्शाता है। वहीं श्रीलंका सरकार ने फेसबुक और दो अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम को मुस्लिम अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा फैलाने का माध्यप पाया और इस पर रोक लगाने की मांग की है।
हांलाकि पुख्ता जानकारी के बाद इन प्लेटफॉर्मों पर प्रतिबंध लगाया जा चुका है, क्योंकि वे घृणास्पद और विवादित बयानों को फैलाने का काम कर रहे थे।
इस रिपोर्ट को पेश करने वाले अधिकारी ने बताया कि, म्यांमार में फेसबुक के माध्यम से सब कुछ किया जाता है। इसका उपयोग सार्वजनिक संदेश देने के लिए किया जाता था, लेकिन अति-राष्ट्रवादी बौद्ध द्वारा रोहिंग्या के खिलाफ हिंसा फैला रहे हैं। मुझे डर है कि फेसबुक अब एक जानवर में बदल गया है, और यह मूल उद्देश्य से नहीं है।