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फेसबुक डाटा लीक पर अमेरिकी संसद में बोले मार्क जकरबर्ग- कैंब्रिज ऐनालिटिका ने मेरा पर्सनल डाटा भी चुराया

By पल्लवी कुमारी | Updated: April 11, 2018 23:44 IST

अमेरिकी सेनेट में पेशी के दौरान फेसबुक संस्थापक मार्क जकरबर्ग ने कहा, 'हमारी यह जिम्मेदारी है कि केवल टूल्स ही ना बनाएं, बल्कि यह भी देखें कि उन टूल्स का इस्तेमाल अच्छे के लिए हो।

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वॉशिंगटन, 11 अप्रैल:  फेसबुक के संस्थापक मार्क जकरबर्ग ने डेटा लीक मामले में अमेरिकी सेनेट में मंगलवार को पेश हुए थे जहां उन्होंने अमेरिकी सेनेट में पेश होकर डेटा लीक मामले की पूरी जिम्मेदारी ली थी। बुधवार 11 अप्रैल को अमेरिकन संसद में पेश होकर मार्क जकरबर्ग ने सबसे चौंकाने वाला खुलासा किए। 

मार्क जकरबर्ग ने अमेरिकन संसद में सदस्यों को बताया कि पॉलिटिकल कंसल्टेंसी कैंब्रिज ऐनालिटिका ने जिन 8 करोड़ 70 हजार लोगों के फेसबुक डेटा का यूज किया था। उनमें उनका पर्सनल डेटा भी शामिल था। जकरबर्ग ने सांसदों की उन बातों का खंडन करते हुए इस बात का जवाबा दिया था कि यूजर्स के पास अपने डेटा का पर्याप्त नियंत्रण होता है। फेसबुक डेटा लीक में करीब 8 करोड़ 70 लाख लोग प्रभावित हुआ था। सांसदों ने यह बात सुनिश्चित करने को कहा।

यह भी पढ़ें- उन्नाव रेप केस: एसआईटी की पहली रिपोर्ट तैयार, पीड़िता के पिता के मौत को लेकर हुए चौंकाने वाले खुलासे

जकरबर्ग  से जब यह पूछा गया कि दुनिया के सबसे बड़े सोशल मीडिया नेटवर्क में यूजर का अपने डेटा तक पर्याप्त कंट्रोल नहीं होता है तो उन्होंने कहा, 'हर बार जब भी कोई यूजर कोई भी चीज शेयर करना चाहता है तो उसके पास उसका कंट्रोल होता है। बिल्कुल उसी जगह पर। इसके लिए अलग से किसी सेटिंग में जाने की जरूरत नहीं है। 

बता दें कि इससे पहले मंगलवार को सेनेट कॉमर्स ऐंड जूडिशरी कमिटियों के सामने पेश हुए जकरबर्ग ने फेसबुक के जरिए हुई गड़बड़ियों की जिम्मेदारी ली। मार्क जकरबर्ग ने कहा कि वह फिर से लोगों के भरोसा जीतने की कोशिश करेंगे। खासकर  चुनावों के दौरान लोगों का भरोसा बहाल करने की कोशिश करेंगे। उन्होंने कहा कि भारत में आगामी चुनावों के दौरान पूरी ईमानदारी बरती जाएगी। 

अमेरिकी सेनेट में पेशी के दौरान जकरबर्ग ने कहा, 'हमारी यह जिम्मेदारी है कि केवल टूल्स ही ना बनाएं, बल्कि यह भी देखें कि उन टूल्स का इस्तेमाल अच्छे के लिए हो। ये बात सच है कि इस हम टूल्स का इस्तेमाल गलत चीजों के लिए होने से रोक नहीं पाए। फेक न्यूज, हेट स्पीच, चुनावों में विदेशी हस्तक्षेप, डाटा की निजता जैसे नुकसान को रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठा पाए। जिसका हमें खेद है।'

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