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महामारी के दौरान संग्रहित किए आठ करोड़ ट्वीट, प्रत्येक अपने आप में एक ऐतिहासिक दस्तावेज

By भाषा | Updated: June 18, 2021 15:41 IST

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रॉबर्ट लॉसन, समाजशास्त्र विज्ञान में एसोसिएट प्रोफेसर, बर्मिंघम सिटी यूनिवर्सिटी

लंदन, 18 जून (द कन्वरसेशन) ब्रिटेन के स्वास्थ्य और सामाजिक देखभाल विभाग ने नयी कोरोनावायरस परीक्षण प्रणाली को लेकर अपना पहला ट्वीट 25 जनवरी 2020 को किया था। एक हफ्ते से भी कम समय के भीतर, विभाग ने ब्रिटेन में कोविड-19 के लिए दो पॉजिटिव परीक्षणों के बारे में अपनी पहली घोषणा के संबंध में ट्वीट किया, जो आने वाली ऐसी घटनाओं की एक ऐसी श्रृंखला का पूर्वाभास था, जिसका लोगों के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ने वाला था।

कोरोनवायरस के फैलते ही, इन शुरुआती ट्वीट्स में लाखों अन्य ट्वीट जुड़ते चले गए, क्योंकि लोग लॉकडाउन की अफवाह, घबराहट में खरीदारी और दुनिया भर से दिल दहला देने वाली कहानियों पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे।

कुछ ही समय बीता और मास्क, आर नंबर और सामूहिक प्रतिरक्षा के बारे में ट्वीट के साथ गलत सूचना और साजिश के सिद्धांतों के ट्वीट की भी भरमार हो गई। धीरे धीरे दुनियाभर में वैक्सीन के आने और हालात के फिर से सामान्य होने की प्रतीक्षा के ट्वीट किए जाने लगे।

इन तमाम ट्वीट को एक साथ देखा जाए तो ये ट्वीट एक विशाल ऐतिहासिक दस्तावेज हैं - सैमुअल पेप्स की एक आधुनिक डायरी - जो बताते हैं कि महामारी के दौरान जीवन कैसे बदल गया। लेकिन लाखों ट्वीट्स की छानबीन करने के साथ, उन सभी को समझने के लिए सावधानीपूर्वक संग्रह करने की आवश्यकता है।

मेरे सहयोगियों और मैंने इनका संग्रह किया है, जिससे महामारी से संबंधित ट्वीट्स का सार्वजनिक रूप से सुलभ डेटाबेस तैयार किया जा सकता है जिसे कोई भी एक्सेस कर सकता है। हमें उम्मीद है कि यह संग्रह शोधकर्ताओं और जनता को 2020 के शुरुआती हफ्तों से अब तक जो कुछ भी बदला है, उसे समझने में मदद करेगा।

ट्विटर को पहले से ही नियमित रूप से एक शोध उपकरण के रूप में उपयोग किया जाता रहा है। एक विशेष रूप से दिलचस्प अध्ययन से पता चला है कि जनवरी 2020 में ट्विटर पर ‘‘निमोनिया’’ जैसे शब्दों के इस्तेमाल में आई बढ़ोतरी से यूरोप में फैलने वाले कोविड-19 के शुरुआती चेतावनी के संकेत मिले।

अन्य कार्यों में, शोधकर्ताओं ने जांच की है कि कैसे विश्व के नेताओं ने महामारी के दौरान ट्विटर का रुख किया, और अन्य लोगों ने यह उजागर करने के लिए डेटासेट बनाए कि जनता ने उनकी कोविड-19 नीतियों का पालन कैसे किया। दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के एक अन्य डेटासेट में 12 करोड़ 30 लाख ट्वीट हैं, जिनमें अंग्रेजी, फ्रेंच, थाई, इंडोनेशियाई और बहुत कुछ शामिल हैं।

फिर बारी आती है ट्विटर पर गलत सूचनाओं के अध्ययन की, जो महामारी की शुरुआत के बाद से एक प्रमुख चिंता का विषय रहा है। एक अध्ययन में पाया गया कि आंशिक रूप से झूठे दावों वाले ट्वीट की तुलना में पूरी तरह से झूठे दावे तेजी से फैलते हैं।

एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि असत्यापित व्यक्तिगत ट्विटर खातों में कोविड-19 गलत सूचना की उच्चतम दर थी, और गलत सूचना देने वाले ट्वीट में #कोविड19 की तुलना में #एनसीओवी2019 जैसे हैशटैग इस्तेमाल किए जाने की अधिक संभावना थी।

गलत सूचना ने षड्यंत्र के सिद्धांतों को भी जन्म दिया है। जांच से पता चलता है कि वे दावा करते हैं कि वायरस को एक जैविक हथियार के रूप में विकसित किया गया था, टीकाकरण कार्यक्रम एक बड़े पैमाने पर निगरानी कार्यक्रम का हिस्सा है, और यहां तक ​​कि पूरी महामारी एक धोखा है।

इन निष्कर्षों ने सोशल मीडिया कंपनियों को लगातार अपराधियों पर प्रतिबंध लगाने, गलत सूचना वाले ट्वीट्स को हटाने, अधिक तथ्य जांचकर्ताओं को नियुक्त करने और विवादित जानकारी में चेतावनी जोड़ने में मदद की।

ये सभी अध्ययन जनमत तक पहुंचने और गलत सूचनाओं को हलका करने के लिए प्लेटफॉर्म को प्रोत्साहित करने में उपयोगी तो हैं, लेकिन उनके अधिकांश डेटासेट सार्वजनिक रूप से सुलभ नहीं हैं और आपको उन तक पहुंचने और उनका विश्लेषण करने के लिए विशेष कौशल की आवश्यकता है।

इस बाधा को दूर करने के लिए, बर्मिंघम सिटी यूनिवर्सिटी में हमारी टीम ने ट्रस्ट एंड कम्युनिकेशन: कोरोनावायरस ऑनलाइन विज़ुअल डैशबोर्ड (टीआरएसी: कोविड) विकसित किया है। यह अंग्रेजी में आठ करोड़ 40 लाख से अधिक ट्वीट्स का संग्रह है जिसमें महामारी से संबंधित शब्द और हैशटैग शामिल हैं। यह वर्तमान में जनवरी 2020 से अप्रैल 2021 तक ब्रिटेन के ट्वीट्स को कवर करता है, और जैसे ही हम अधिक डेटा प्राप्त करेंगे, इसे बढ़ाया जाएगा।

चूंकि हमारा यह संग्रह एक विशिष्ट अवधि को कवर करता है, उपयोगकर्ता यह पता लगा सकते हैं कि महामारी के दौरान भाषा का उपयोग कैसे बदल गया है, कैसे विशेष शब्दों ने नए अर्थ प्राप्त किए हैं, या जब कुछ शब्दों का उपयोग पूरी तरह से बंद हो जाता है और इसके लिए विशिष्ट ज्ञान अथवा भाषा विश्लेषण कौशल की जरूरत नहीं होती है।

इन अलग-अलग पहलुओं को एक साथ खींचकर, हम एक विस्तृत समयरेखा बना सकते हैं कि कैसे कोविड-19 के बारे में बातचीत बदल गई है।

हमारा ट्विटर अभिलेखागार महामारी से संबंधित चल रहे मुद्दों से निपटने में भी हमारी मदद कर सकता है। इनमें प्रमुख है वैक्सीन हिचकिचाहट, जो अध्ययनों से पता चला है कि ट्विटर जैसे प्लेटफॉर्म पर साझा की गई गलत सूचनाओं के कारण है।

कोविड-19 के बारे में ट्वीट एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक कालखंड का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो यह दर्शाता है कि समय के साथ महामारी के बारे में बातचीत और चिंताएँ कैसे बदल गई हैं। हमारे नए संसाधन के साथ, लोग यह जान पाएंगे कि विश्व इतिहास की एक अनूठी अवधि के दौरान ब्रिटेन के ट्विटर उपयोगकर्ताओं का व्यवहार कैसा था।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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