ग्लासगो, दो नवंबर भारत ने मंगलवार को कहा कि जलवायु वित्त 2009 में तय किए गए स्तर के अनुरूप जारी नहीं रह सकता है और उन्होंने जोर देते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए यह कम से कम 1000 अरब डॉलर होना चाहिए।
ग्लासगो में 26वें अंतरराष्ट्रीय जलवायु सम्मेलन में समान विचारधारा वाले विकासशील देशों (एलएमडीसी) की मंत्रीस्तरीय बैठक में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने एलएमडीसी देशों से आह्वान किया कि वे विकासशील देशों के हितों की रक्षा के लिए साथ मिलकर काम करें।
यादव ने बैठक में कहा, “ जलवायु वित्त पर नजर रखने के लिए एक तंत्र होना चाहिए, क्योंकि हमारे पास निगरानी की कमी है।”
बैठक में चीन, क्यूबा, निकारागुआ और वेनेजुएला समेत अन्य देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। बैठक की अध्यक्षता बोलीविया के राष्ट्रपति लुइस अल्बर्टो आर्क कैटाकोरा ने की।
जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में कम आय वाले देशों के हितों की रक्षा के लिए यूएनएफसीसीसी (जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क समझौता) वार्ता में एलएमडीसी की एकता और ताकत को बुनियाद बताते हुए यादव ने कहा कि विकासशील देशों के सामने मौजूद वर्तमान चुनौतियों की पहचान के लिए मजबूत बहुपक्षीय सहयोग की आवश्यकता है, न कि तीव्र वैश्विक आर्थिक और भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा और व्यापार युद्ध की।
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