बीजिंग: अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने सोमवार को कहा कि अगर चीन ताइवान पर हमला करता है तो उनका देश सैन्य हस्तक्षेप करेगा। यह पिछले कुछ दशकों में ताइवान के समर्थन में दिए गए प्रत्यक्ष और जोरदार बयानों में से एक है। बता दें कि तोक्यो में एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान बाइडन से सवाल किया गया कि यदि चीन ताइवान पर हमला करता है, तो क्या वह सैन्य हस्तक्षेप करके इसकी रक्षा करने के इच्छुक हैं। इसके जवाब में अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, "हां।" उन्होंने कहा, "हमने यह प्रतिबद्धता जताई है।" वहीं, बाइडन के बयान पर चीन की प्रतिक्रिया सामने आई है।
बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति के बयान पर बीजिंग का कहना है कि किसी को भी चीन को कम नहीं आंकना चाहिए। ताइवान के सवाल पर बाइडन की टिप्पणी के जवाब में चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कड़ा असंतोष जताते हुए कहा, "चीन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता से जुड़े मुद्दों पर चीन के पास समझौता करने की कोई गुंजाइश नहीं है। किसी को भी चीनी लोगों के दृढ़ संकल्प को कम नहीं आंकना चाहिए।" मालूम हो, अमेरिका ताइवान को ऐसी स्पष्ट सुरक्षा गारंटी देने से परंपरागत रूप से परहेज करता रहा है। उसकी ताइवान के साथ कोई आपसी रक्षा संधि नहीं है।
इसके बजाय वह इस बारे में "रणनीतिक अस्पष्टता" की नीति अपनाता रहा है कि अगर चीन ने आक्रमण किया तो वह कितना हस्तक्षेप करने को तैयार है। द्वीप के साथ अमेरिका के संबंधों से जुड़े 1979 के ताइवान संबंध अधिनियम के तहत चीन द्वारा आक्रमण करने पर ताइवान की रक्षा के लिए अमेरिका को सैन्य कदम उठाने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन यह सुनिश्चित करना अमेरिका की नीति है कि ताइवान के पास अपनी रक्षा करने और ताइवान में स्थिति में चीन द्वारा एकतरफा बदलाव को रोकने के लिए संसाधन हों।