लंदन, 20 सितंबर (एपी) प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने जोर दिया कि अमेरिका-ब्रिटेन-ऑस्ट्रेलिया परमाणु समझौते को लेकर पेरिस में नाराजगी के बावजूद फ्रांस के साथ ब्रिटेन के रिश्ते “अटूट” हैं।
फ्रांस के प्रमुख सहयोगियों के बीच संबंधों को प्रभावित करने वाले समझौते के बाद फ्रांसीसी रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पार्ली और उनके ब्रिटिश समकक्ष बेन वालेस के बीच एक बैठक को स्थगित कर दिया गया है।
दोनों इस सप्ताह फ्रेंको-ब्रिटिश काउंसिल द्वारा आयोजित एक बैठक को संबोधित करने वाले थे।
परिषद के सह-अध्यक्ष पीटर रिकेट्स ने सोमवार को ‘द गार्डियन’ को बताया कि बैठक को “बाद की तारीख के लिए स्थगित” कर दिया गया था।
पिछले हफ्ते घोषित पनडुब्बी समझौते के तहत ऑस्ट्रेलिया फ्रांस के साथ पूर्व में हुए डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बी सौदे को रद्द कर उसकी जगह अमेरिका से परमाणु पनडुब्बी की खरीद करेगा।
अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन का कहना है कि यह समझौता हिंद-प्रशांत क्षेत्र के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को मजबूत करता है, हालांकि इसे व्यापक रूप से चीन का मुकाबला करने के लिए एक कदम के रूप में देखा जा रहा है।
ऐसा लगता है कि फ्रांसीसी सरकार को इस समझौते के बारे में कोई भान नहीं था। फ्रांस के विदेश मंत्री ज्यां यवेस ली द्रियां ने इसे “पीठ में छुरा घोंपना” करार दिया और फ्रांस ने सहयोगियों के बीच बेहद अस्वाभाविक कदम के तौर पर वाशिंगटन और कैनबरा से अपने राजदूतों को वापस बुला लिया था। फ्रांस ने हालांकि लंदन से अपने राजदूत को नहीं बुलाया था। फ्रांस के यूरोप मामलों के मंत्री क्लीमेंट ब्यून ने कहा कि “ऑकस” सौदे का तीसरा खिलाड़ी ब्रिटेन एक “कनिष्ठ साझेदार” है और वह अमेरिका की आज्ञा का पालन करने वाला है।
जॉनसन ने कहा कि इस कूटनीतिक उथल-पुथल के बावजूद ब्रिटेन-फ्रांस संबंध “बेहद मित्रवत” हैं।
जॉनसन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के लिए अपने साथ न्यूयॉर्क जा रहे पत्रकारों से कहा, “फ्रांस के लिए हमारा प्यार अटूट है।”
उन्होंने कहा, “ऑकस किसी भी तरह से शून्य-योग नहीं है, इसका मतलब बहिष्कार नहीं है। यह ऐसी चीज नहीं है जिसके बारे में किसी को चिंता करने की जरूरत है और खासकर हमारे फ्रांसीसी दोस्तों को तो नहीं ही।
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