BIMSTEC Summit in Bangkok 2025: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को म्यांमा की सैन्य सरकार के प्रमुख वरिष्ठ जनरल मिन आंग ह्लाइंग से मुलाकात की और कहा कि भारत भूकंप प्रभावित म्यांमा को हर संभव सहायता प्रदान करने का प्रयास कर रहा है। म्यांमा में आए भीषण भूकंप में अब तक हजारों लोगों की जान चली गई है। प्रधानमंत्री मोदी ने बिम्सटेक (बहु-क्षेत्रीय और तकनीकी सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल) के नेताओं की शिखर बैठक से इतर म्यांमा की सैन्य सरकार के प्रमुख से मुलाकात की।
बिम्सटेक एक क्षेत्रीय पहल है, जिसमें भारत के पड़ोसी देश थाईलैंड, म्यांमा, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल और श्रीलंका शामिल हैं। मोदी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘बैंकॉक में बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के दौरान म्यांमा के वरिष्ठ जनरल मिन आंग ह्लाइंग से मुलाकात की। हाल में आए भूकंप के कारण हुई जान-माल की हानि पर एक बार फिर संवेदना व्यक्त की।
भारत इस कठिन समय में म्यांमा के अपने भाइयों और बहनों की सहायता के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है।’’ फरवरी 2021 में सैन्य तख्तापलट के बाद सत्ता में आए सीनियर जनरल मिन के साथ यह प्रधानमंत्री की पहली बातचीत थी। उन्होंने कहा, ‘‘हमने भारत और म्यांमा के बीच द्विपक्षीय संबंधों, विशेषकर ‘कनेक्टिविटी’, क्षमता निर्माण, बुनियादी ढांचा विकास आदि क्षेत्रों पर भी चर्चा की।’’
सूत्रों ने बताया कि वरिष्ठ जनरल ने राहत सहायता के लिए प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया। उन्होंने गुजरात के भुज में आए भूकंप के बाद वहां किए गए पुनर्निर्माण कार्य और नेतृत्व के लिए भी मोदी की सराहना की तथा म्यांमा एवं अन्य देशों को इससे मिली सीख का भी जिक्र किया। भारत ने भूकंप प्रभावित म्यांमा में राहत प्रयासों में मदद के लिए ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ शुरू किया है।
फरवरी 2021 में सैन्य तख्तापलट के बाद वरिष्ठ जनरल मिन देश की सत्ता संभाल रहे हैं। 35 मिनट की इस बैठक के दौरान म्यांमा के शासक ने 28 मार्च को आए भूकंप के तुरंत बाद भारत द्वारा भेजी गई सहायता की सराहना की। बताया जाता है कि प्रधानमंत्री ने वरिष्ठ जनरल मिन से कहा, ‘‘हम मदद के लिए तैयार हैं।’’
भारत ने मांडले में ‘सैन्य फील्ड अस्पताल’ बनाए हैं। म्यांमा प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने भी मांडले में भारत द्वारा स्थापित अस्पताल का दौरा किया। भारत ने अपने राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के कर्मियों को भी तैनात किया है जो म्यांमा में राहत एवं बचाव कार्य में सहायता कर रहे हैं।
म्यांमा को बिम्सटेक की सफलता के लिए एक महत्वपूर्ण कड़ी माना जाता है, सदस्य देशों को जोड़ने वाली सभी प्रमुख परियोजनाएं म्यांमा से होकर गुजरती हैं, जहां स्थानीय प्रशासन का देश के विभिन्न क्षेत्रों पर बहुत कम नियंत्रण है। म्यांमा में आए भीषण भूकंप ने उसे अन्य राष्ट्रों के साथ जुड़ने का अवसर दिए है, क्योंकि वह भूकंप से उबरने के लिए मानवीय सहायता चाहता है।
म्यांमा में करीब एक सप्ताह पहले आए भीषण भूकंप में मरने वालों की संख्या बृहस्पतिवार को बढ़कर 3,145 हो गई। देश की सैन्य सरकार ने यह जानकारी दी। सरकारी टेलीविजन एमआरटीवी के अनुसार, सूचना मंत्री माउंग माउंग ओह्न ने राजधानी नेपीता में एक बैठक में यह भी घोषणा की कि 4,589 लोग घायल हुए हैं और 221 अन्य लापता हैं।
पिछले शुक्रवार को आए 7.7 तीव्रता वाले भूकंप का केंद्र म्यांमा के दूसरे सबसे बड़े शहर मांडले के पास था। इससे कई इलाकों में हजारों इमारतें ढह गईं, सड़कें टूट गईं और पुल नष्ट हो गए। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा कि उसके प्रारंभिक आकलन के अनुसार, भूकंप में चार अस्पताल और एक स्वास्थ्य केंद्र पूरी तरह नष्ट हो गया जबकि 32 अस्पताल और 18 स्वास्थ्य केंद्र आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं। भारत का एक ‘मोबाइल अस्पताल’ और ‘रूस-बेलारूस’ का संयुक्त अस्पताल अब मांडले में लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करा रहे हैं।