आयुर्वेद अत्यंत प्रभावी विज्ञान है : महावाणिज्य दूत रणधीर जायसवाल

By भाषा | Updated: November 3, 2021 11:00 IST2021-11-03T11:00:59+5:302021-11-03T11:00:59+5:30

Ayurveda is a very effective science: Consul General Randhir Jaiswal | आयुर्वेद अत्यंत प्रभावी विज्ञान है : महावाणिज्य दूत रणधीर जायसवाल

आयुर्वेद अत्यंत प्रभावी विज्ञान है : महावाणिज्य दूत रणधीर जायसवाल

( योषिता सिंह)

न्यूयॉर्क, तीन नवंबर भारतीय पारंपरिक चिकित्सा की प्राचीन प्रणाली, आयुर्वेद एक बहुत ही प्रभावी विज्ञान है और एक ऐसी प्रणाली है जिसका आध्यात्मिक विस्तार बहुत मजबूत और आत्मनिरीक्षण से संबंधित है। न्यूयॉर्क में भारत के महावाणिज्य दूत ने ये बातें कही हैं।

न्यूयॉर्क में भारत के महावाणिज्य दूतावास ने आयुर्वेद दिवस 2021 के अवसर पर मंगलवार को 'आयुर्वेद इन एवरीडे लाइफ' शीर्षक से पैनल चर्चा का आयोजन किया।

लेखक एवं ‘एलिमेंट्स ट्रफल्स’ के सह-संस्थापक कुशाल चोकसी द्वारा संचालित चर्चा में ‘शंकरा नैचुरल्स’ के सीईओ भूषण देवधर, ‘एलीमेंट्स ट्रफल्स’ के सह-संस्थापक अलक वासा और ‘द वेल’ की सह-संस्थापक और सीईओ रेबेका पारेख शामिल हुए।

जायसवाल ने इस बात का खास तौर पर जिक्र किया कि आयुर्वेद भारतीय पारंपरिक चिकित्सा की एक प्राचीन प्रणाली है और आधुनिक समय में भी पूरी तरह प्रासंगिक है। उन्होंने कहा कि दुनिया के विभिन्न हिस्सों में आयुर्वेद पर बहुत कुछ किया जा रहा है - एरिज़ोना में शोध संस्थानों से लेकर भारत में शोध संस्थानों और विश्वविद्यालयों तक सक्रियता बरकरार है ।

उन्होंने कहा कि आयुर्वेद “ऐसी प्रणाली है जिसका आध्यात्मिक विस्तार बहुत मजबूत है। यह आत्म विश्लेषण के बारे में है। यही वजह है कि आयुर्वेद हर व्यक्ति को एक व्यक्ति विशेष के तौर पर देखता है” जो चिकित्सा की अन्य शाखाओं में देखने को नहीं मिलता है।

उन्होंने कहा, "यह एक बहुत ही गतिशील विज्ञान है।” साथ ही उन्होंने कहा कि दुनिया भर के कई लोगों के लिए आयुर्वेद एक "जिया हुआ अनुभव" है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद का प्रकृति के साथ मजबूत सह-संबंध है और यह बहुत गहराई से उसे आत्मसात करता है।

जायसवाल ने रेखांकित किया कि दुनिया के विभिन्न हिस्सों में आयुर्वेद और पारंपरिक दवाओं की प्रणालियों का महत्व बढ़ रहा है। इसके समर्थन में उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि पारंपरिक और पूरक दवाओं पर राष्ट्रीय नीतियां बनाने वाले देशों की संख्या 1998 में 25 थी जो बढ़कर 2018 में 98 हो गई। पारंपरिक और पूरक दवाओं के लिए स्वास्थ्य बीमा कवर वाले देश 2012 में 37 थे जो 2018 में 45 हो गए।

वासा ने कहा कि उनके लिए आयुर्वेद की समझ किसी पाठ या पुस्तक में नहीं थी बल्कि यह एक "महसूस किया गया अनुभव" था।

देवधर ने कहा कि आयुर्वेद के बारे में एक बात यह है कि "यह बहुत ही व्यक्तिगत है।"

नई दिल्ली में, केंद्रीय आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने मंगलवार को हिमाचल प्रदेश के पंचकुला में राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान (एनआईए) अधीनस्थ केंद्र के बुनियादी ढांचे के विस्तार के लिए 260 करोड़ रुपये के बजट की घोषणा की।

राजस्थान के जयपुर में स्थित राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान में आयोजित छठे राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस समारोह को संबोधित करते हुए सोनोवाल ने घोषणा की कि राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान (एनआईए) के पंचकूला में बन रहे नये सेटेलाइट सेंटर के लिए केंद्र सरकार ने 260 करोड़ रूपये दिए है।

उन्होंने कहा, ‘‘आयुर्वेद शारीरिक व मानसिक रूप से एक बीमारी रहित, सेहतमंद एवं लंबा जीवन जीने के महत्व के बारे में आम जनता के बीच जागरुकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। भारत में यह गैरसंचारी बीमारियों के भार को कम करने में काफी बड़ा योगदान दे सकता है।’’

सोनोवाल ने कहा ‘‘आयुर्वेदिक इलाज के मामले में भारत का अद्वितीय इतिहास रहा है । भारत को आज आयुर्वेद विज्ञान की युगों पुरानी क्षमता का उपयोग कर दुनिया में एक आदर्श स्थापित करने की जरूरत है।

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