लाइव न्यूज़ :

पाकिस्तान: सेना ने पश्तो को सैन्य स्कूलों में किया प्रतिबंधित, लोगों में फैला रोष

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: October 21, 2022 18:33 IST

पाकिस्तानी सेना ने आर्मी पब्लिक स्कूल में पश्तों पर प्रतिबंध लगाने का ऐलान करते हुए कहा कि अगर स्कूल में कोई भी छात्र पश्तो बोलते हुए पकड़ा गया तो उस पर जुर्माना लगाया जाएगा।

Open in App
ठळक मुद्देपाक सेना ने अपने संरक्षण में चलने वाले सैन्य स्कूलों में पश्तों भाषा पर लगाया बैनपाक सेना ने यह कदम खैबर पख्तूनख्वा के कई स्कूलों में पश्तों पर लगे प्रतिबंध के बाद उठाया हैसेना ने कहा कि अगर स्कूल में कोई छात्र पश्तो बोलते हुए पकड़ा गया तो उस पर जुर्माना लगेगा

खैबर पख्तूनख्वा: पाकिस्तान की सेना ने अपने संरक्षण में चलने वाले सैन्य स्कूलों में पश्तों भाषा के प्रयोग पर पूरी तरह से बैन लगा दिया है। जानकारी के मुताबिक खैबर पख्तूनख्वा के कई स्कूलों में पश्तों पर लगे प्रतिबंध के बाद सेना ने भी इस प्रतिबंध को अपने स्कूलों में लागू करने का आदेश दिया है।

पाकिस्तानी सेना ने इस प्रतिबंध के साथ आर्मी पब्लिक स्कूल में शिक्षा लेने वाले छात्रों के लिए चेतावनी जारी कर दी है कि अगर स्कूल परिसर में कोई छात्र पश्तो भाषा में बोलते हुए पकड़ा गया तो उस पर जुर्माना लगाया जाएगा।

खबरों के मुताबिक आर्मी के इस फैसले के बाद पाकिस्तान के सोशल मीडिया पर कई पाक पत्रकारों और राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने इस कदम की तीखी निंदा की और कहा कि पश्तो पर लगाये गये प्रतिबंध बेहद गलत हैं और इसे रोका जाना चाहिए।

सैन्य फैसले के बाद पश्तून तहफुज आंदोलन के प्रमुख मंजूर पश्तीन ने इस संबंध में एक बयान जारी करते हुए कहा, "पश्तो को लंबे समय से मीडिया, पाठ्यक्रम और राजनीति से हटा दिया गया है और कई स्कूलों में भी इसके प्रयोग की मनाही है। लेकिन हम सामान्य रूप से पश्तो बोलते हैं। हमें कई भाषाएं सीखनी चाहिए, लेकिन हमारी मातृभाषा पश्तो पर प्रतिबंध नहीं लगाना चाहिए।"

इसके आगे पश्तीन ने कहा कि अगर प्रतिबंध या किसी अन्य तरीके से भाषा को खत्म करने का प्रयास किया जाता है तो इसका साफ मतलब है कि उस भाषा से संबंधित कुछ लोगों की राष्ट्रीय पहचान खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है।

बताया जा रहा है कि इससे पहले भी खैबर पख्तूनख्वा में कई लोगों ने पाकिस्तान सरकार से आग्रह किया था कि बच्चों के स्कूलों में पश्तो को शिक्षा का माध्यम दी जाए लेकिन इस बीच सेना की ओर से लिये गये इस विरोधी फैसले से न केवल न बल्कि पूरे देश में भारी आक्रोश है।

पाकिस्तानी समाचार पत्र डॉन की रिपोर्ट के अनुसार पेशावर के अलावा स्वात, मलकंद, बुनेर, स्वाबी, मर्दन, नौशेरा, चारसद्दा, डेरा इस्माइल खान, बन्नू, करक और अन्य आदिवासी जिलों में कई साहित्यिक और सांस्कृतिक संगठनों द्वारा मातृभाषा के महत्व को चिह्नित करने के लिए कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है लेकिन पश्तो के प्रति सरकार के रवैये और अब सेना के फैसले से लोगों में भारी रोष है और लोग चाहते हैं कि पश्तो पर लगे प्रतिबंधों को सरकार खत्म करे और अन्य भाषा की तरह उसे भी समान दर्जा दे।

टॅग्स :पाकिस्तानPakistan Army
Open in App

संबंधित खबरें

विश्वपाकिस्तान: सिंध प्रांत में स्कूली छात्राओं पर धर्मांतरण का दबाव बनाने का आरोप, जांच शुरू

बॉलीवुड चुस्कीDhurandhar: फिल्म में दानिश पंडोर निभा रहे हैं उज़ैर बलूच का किरदार, कराची का खूंखार गैंगस्टर जो कटे हुए सिरों से खेलता था फुटबॉल, देखें उसकी हैवानियत

विश्वपाकिस्तान में 1,817 हिंदू मंदिरों और सिख गुरुद्वारों में से सिर्फ़ 37 ही चालू, चिंताजनक आंकड़ें सामने आए

विश्व'इमरान खान ज़िंदा और ठीक हैं': पाकिस्तान के पूर्व पीएम की बहन ने रावलपिंडी की अदियाला जेल में उनसे मिलने के बाद दिया बयान | VIDEO

विश्वपाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान जिंंदा हैं या नहीं!

विश्व अधिक खबरें

विश्वअड़चनों के बीच रूस के साथ संतुलन साधने की कवायद

विश्वलेफ्ट और राइट में उलझा यूरोप किधर जाएगा?

विश्वएलन मस्क की चिंता और युद्ध की विभीषिका

विश्वTrump Health Report: व्हाइट हाइस ने जारी किया राष्ट्रपति ट्रंप का एमआरआई स्कैन, जानें हेल्थ रिपोर्ट में क्या आया सामने

विश्वबैंक्सी की करुणा और बड़ों के युद्ध में फंसे बच्चे