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'अमेरिका ताइवान तनाव के मद्देनजर चीन और रूस के साथ युद्ध के लिए रहे तैयार': रिपोर्ट

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: October 13, 2023 11:41 IST

इजरायल-हमास और रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच अब खबर आ रही है कि अमेरिका भी ताइवान तनाव के मद्देजनर रूस और चीन से युद्ध की तैयारी कर सकता है।

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ठळक मुद्देअमेरिका ताइवान तनाव के मद्देजनर कर सकता है रूस और चीन के खिलाफ युद्ध की तैयारीअमेरिकी कांग्रेस द्वारा नियुक्त पैनल ने कहा कि अमेरिका सहयोगियों के साथ तैयार रहे युद्ध के लिएपेंटागन के पूर्वानुमान में स्वीकार किया गया है कि चीन तेजी से परमाणु शस्त्रागार विस्तार कर रहा है

वाशिंगटन: इजरायल-हमास और रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच अब खबर आ रही है कि अमेरिका भी ताइवान तनाव के मद्देजनर रूस और चीन से युद्ध की तैयारी कर सकता है। खबरों के मुताबिक अमेरिकी कांग्रेस द्वारा नियुक्त द्विदलीय पैनल ने बीते गुरुवार को कहा कि अमेरिका अपनी सेनाओं का विस्तार करके नाटो गठबंधनों को मजबूत करते हुए परमाणु हथियार आधुनिकीकरण कार्यक्रम को बढ़ाए और रूस-चीन के साथ संभावित युद्ध के लिए तैयार रहे।

समाचार वेबसाइट रॉयटर्स के अनुसार अमेरिकी कांग्रेस द्वारा नियुक्त द्विदलीय पैनल की यह रिपोर्ट ताइवान और अन्य मुद्दों पर चीन के साथ तनाव और यूक्रेन पर आक्रमण को लेकर रूस और अमेरिका के बीच बढ़ते मतभेदों के बीच आई है।

इस रिपोर्ट को तैयार करने वालो में शामिल एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह बताने से इनकार कर दिया कि पैनल ने चीनी और रूसी के परमाणु हथियार सहयोग के संबंध में कोई खुफिया ब्रीफिंग भी दी है। अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, "हमें चिंता है कि उनके बीच (रूस और चीन) किसी भी तरह से समन्वय हो सकता है, जो हमें युद्ध तक ले जा सकता है।"

इस पूरे मसले में सबसे दिलचस्प तथ्य यह है कि अमेरिकी कांग्रेस द्वारा नियुक्त द्विदलीय पैनल की रिपोर्ट से अमेरिका की मौजूदा राष्ट्रीय सुरक्षा नीति उलट सकते हैं, जिसमें अमेरिका किसी भी तरह के संघर्ष को दूर रखना चाहता है और अगर ऐसा होता है तो राष्ट्रपति जो बाइडन को भारी रक्षा खर्च बढ़ाने के लिए कांग्रेस के समर्थन की आवश्यक्ता होगी, जो फिलहाल उन्हें नहीं मिल रहा है।

रिपोर्ट जारी करने के लिए आयोजित की गई प्रेस ब्रीफिंग को संबोधित करते हुए अमेरिकी परमाणु हथियारों की देखरेख करने वाली एजेंसी के पूर्व उप प्रमुख और उपाध्यक्ष रहे रिटायर्ड रिपब्लिकन सीनेटर जॉन काइल ने कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडन और कांग्रेस इस मामले को अमेरिकी लोगों के सामने ले जाएं क्योंकि रूस और चीन के संभावित युद्ध में होने वाला खर्च बहुत बड़ा होगा।

रिपोर्ट में बताया गया है कि ऐसे हालात में स्थितियां अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के विपरीत हो सकती हैं क्योंकि वर्तमान समय में अमेरिकी परमाणु शस्त्रागार रूस और चीन की संयुक्त सेनाओं को रोकने के लिए काफी नहीं हैं।

वहीं इस रिपोर्ट के जवाब में अमेरिका के आर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन ने कहा, "मौदूजा शस्त्रागार की क्षमता अभी भी दुश्मन के परमाणु हमले को रोकने के लिए और प्रतिद्वंद्वी लक्ष्यों को रोकने के लिए आवश्यक से अधिक है।"

रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया है, "अमेरिका और उसके सहयोगियों को एक साथ दोनों विरोधियों चीन और रूस को रोकने के लिए और हराने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए क्योकि अमेरिका के नेतृत्व वाली अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और उसके समर्थकों को चीनी और रूसी मौजूदा सत्ता से हमेशा खतरा है।"

रिपोर्ट में पेंटागन के पूर्वानुमान को स्वीकार किया गया है कि चीन तेजी से परमाणु शस्त्रागार विस्तार कर रहा है और उसका लक्ष्य साल 2035 तक 1,500 परमाणु हथियारों को पाने का है। 145 पन्नों की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2027-2035 की समयसीमा में चीनी और रूसी के खतरे अमेरिका के प्रति और भी तीव्र हो जाएंगे। इसलिए अमेरिका को अभी जरूरत है कि वो इस संबंध में सभी जरूरी निर्णय ले।

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