वाशिंगटन: अमेरिका में संघीय अभियोजकों ने सेवानिवृत्त मरीन जनरल जॉन आर एलन के खिलाफ ऐसे सबूत हासिल करने का दावा किया है कि उन्होंने गुप्त रूप से कतर की सरकार के लिए लॉबिंग करने का काम किया। जॉन आर एलन अफगानिस्तान में सभी अमेरिकी सेना की कमान भी संभाल चुके हैं। फिलहार एलन एक वाशिंगटन के एक प्रतिष्ठित थिंक टैंक के प्रमुख हैं।
सामने आई जानकारी के अनुसार अभियोजकों को ऐसे भी सबूत हाथ लगे हैं कि एलन ने जांचकर्ताओं से अपनी भूमिका के बारे में झूठ बोला और कोशिश की सबूतों को सामने आने से रोका जा सके। अमेरिकी जांच एजेंसी ने खाड़ी देश के लिए गैर कानूनी तरीके से लॉबिंग अभियान चलाने के मामले में जारी जांच के सिलसिले में आरोपी सेवानिवृत्त जनरल की ‘अपराध में संलिप्तता’ से संबंधित दस्तावेज को भी जब्त किया है।
अदालत के रिकॉर्ड न्याय विभाग और एफबीआई द्वारा मामले में किए गए व्यापक जांच से जुड़े नवीनतम सबूत हैं। ये सबूत कतर, संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब जैसे धनी अरब देशों के वाशिंगटन में प्रभाव को दर्शाते हैं।
जनरल एलन के इलेक्ट्रॉनिक कम्यूनिकेशन से संबंधित जांच के लिए एक सर्च वारंट हासिल करने के लिए अप्रैल में उनसे संबंधित रिकॉर्ड कैलिफोर्निया में अप्रैल में एक फेडरल कोर्ट में फाइल किए गए थे।
इसी मामले में अन्य दस्तावेज भी फाइल किए गए हैं जो सील हैं। माना जा रहा है कि वारंट के आवेदन के लिए डाली गई फाइल लीक हो गई। दस्तावेज बताते हैं कि जनरल एलन, संयुक्त अरब अमीरात और पाकिस्तान में संयुक्त राज्य अमेरिका के पूर्व राजदूत रिचर्ड जी. ओल्सन के साथ गुप्त लॉबिंग योजना में शामिल थे। वे इमाद जुबेरी के साथ भी करीब से संपर्क में थे जो एक व्यापारी है और उसका मध्य पूर्व से संबंध है।
जुबेरी विदेशी लॉबिंग, वित्त और कर कानूनों के उल्लंघन के साथ-साथ न्याय प्रक्रिया में बाधा डालने के लिए पहले जेल की सजा काट रहा है। वहीं ओल्सन को पिछले सप्ताह मामले में दोषी ठहराया गया। जनरल एलन के प्रवक्ता ब्यू फिलिप्स ने एक बयान में कहा, 'जॉन एलन ने स्वेच्छा से इस मामले में सरकार की जांच में सहयोग किया है। 2017 में कतर के संबंध में जॉन एलन के प्रयास संयुक्त राज्य अमेरिका और कतर में स्थित सेना के हितों की रक्षा करने के लिए थे।'
अदालत के दस्तावेजों के मुताबिक एलन पर्दे के पीछे से वर्ष 2017 में अमेरिका की नीतियों को प्रभावित करने के लिए कतर की मदद कर रहे थे। यह उस दौर की बात है जब कतर के शाही परिवार और खाड़ी के अन्य देशों के बीच राजनयिक संकट पैदा हो गया था।