काबुल: अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद तालिबान ने महिलाओं के लिए नया फरमान जारी किया है। महिला कर्मचारियों को अब घर पर रहने को कहा गया है। साथ ही कहा गया है कि केवल ऐसी महिलाएं काम पर आएं जिनके काम पुरुष नहीं कर सकते हैं।
काबुल के कार्यवाहक मेयर हमदुल्ला नोहमानी द्वारा रविवार को ये आदेश घोषित किया गया। इसके मायने ये हुए कि महिलाओं को अब एक तरह से अफगानिस्तान की राजधानी में सरकारी नौकरियों से रोक दिया गया है।
'टॉयलेट की साफ-सफाई करें महिला कर्मचारी'
सीएएन के मुताबिक घोषणा के अनुसार अब काबुल सरकार के लिए महिलाओं द्वारा किया जा सकने वाला एकमात्र काम महिलाओं के टॉयलेट की साफ-सफाई है।
तालिबान के आदेश के साथ ही सैकड़ों महिलाओं का काम अब छिन गया है। नोहमानी ने कहा कि नगर पालिका के लिए 2,930 लोग काम कर रहे हैं, इसमें से 27% महिलाएं हैं।
नोहमानी ने तालिबान के नाम का जिक्र करते हुए कहा, 'शुरुआत में हमने उन सभी को समय पर अपने काम पर आने की इजाजत दी, लेकिन फिर इस्लामी अमीरात ने फैसला किया है कि यह जरूरी है कि कुछ समय के लिए उनका काम करना बंद किया जाए।'
नोहमानी के अनुसार, 'अब हमने केवल उन महिलाओं को अनुमति दी है जिनकी हमें आवश्यकता है, मेरा मतलब उन नौकरियों से है जो पुरुष नहीं कर सकते, या जो पुरुषों का काम नहीं है...उदाहरण के तौर पर बाजारों में मौजूद सार्वजनिक महिला शौचालय हैं।'
नोहमानी ने कहा कि ज्यादातर काम अब पुरुषों द्वारा किया जाएगा और जब तक स्थिति सामान्य नहीं हो जाती, हमने उन्हें घर पर रहने के लिए कहा है।
तालिबान की वापसी के बाद से महिलाओं में डर
पिछले महीने तालिबान द्वारा देश पर कब्जा करने के बाद से अफगानिस्तान में महिलाओं और लड़कियों के लिए डर बढ़ा हुआ है। महिलाओं के अधिकारों का सम्मान करने के बार-बार आश्वासन के बावजूद महिला कर्मचारियों पर हाल के आदेश संकेत है कि पिछले 20 वर्षों की स्वतंत्रता अब समाप्त हो रही है।
तालिबान के आने के बाद से महिलाओं को कुछ क्षेत्रों में अपने कार्यस्थलों को छोड़ने का आदेश दिया गया है, लड़कियों और महिलाओं की शिक्षा को लेकर नए गाइडलाइन जारी किए गए हैं। साथ ही तालिबान की ओर से घोषित अंतरिम सरकार में भी किसी भी महिला को जगह नहीं दी गई है।
तालिबान आखिरी बार 1996 और 2001 के बीच जब सत्ता में था, तो आतंकी समूह ने महिलाओं और लड़कियों के शिक्षा और काम करने पर प्रतिबंध लगा दिया था। साथ ही उन्हें घर से बाहर जाने से रोक दिया गया था और उन्हें अपने पूरे शरीर को ढंकने के लिए मजबूर किया गया था।