नई दिल्ली: रूसी सीमा से लगने वाले छह नाटो देशों ने अपनी सीमा को चाक चौबंध करने के लिए ड्रोन की दीवार बनाने का निर्णय किया है। इससे ये भी देशों ने माना कि वे अपनी सीमा को सुरक्षित कर सकें, लिथुआनिया के गृह मंत्री ने शुक्रवार को इसकी घोषणा की थी।
लिथुआनिया के गृह मंत्री एग्ने बिलोटाइट ने न्यूज एजेंसी को दिए इंटरव्यू में बताया कि यह पूरी तरह से नई चीज है, यह ड्रोन की दीवार नॉर्वे से पोलेंड के बीच खींची जाएगी। इसका सीधा सा मकसद है कि ड्रोन और दूसरी तकनीकी उपकरणों से हम बॉर्डर को सुरक्षित करना चाहते हैं। भाग लेने वाले लिथुआनिया के साथ बाल्टिक पड़ोसी देश लातविया, एस्टोनिया, पोलैंड, फिनलैंड और नॉर्वे हैं।
उन्होंने आगे कहा कि भौतिक मूलढांचा, सर्विलांस सिस्टम तक सीमित नहीं रहना चाहते, इसके आगे अब तकनीकी से लैस होते हुए ड्रोन सिस्टम से भी अपनी सीमाओं को सुरक्षित रखेंगे। इससे हमें किसी भी भड़काऊ चीजों का सामना करने में आसानी होगी। ये तस्करी को रोकने की अनुमति देगा।
परियोजना की फंडिंग, समयसीमा और तकनीकी पहलुओं जैसे विवरण प्रदान नहीं किए गए, लेकिन बिलोटाइट ने कहा कि यूरोपीय संघ के फंड एक भूमिका निभा सकते हैं और इस पर प्रत्येक देश को अपना होमवर्क करना होगा। एक साक्षात्कार में, फिनलैंड के गृह मंत्री मारी रैनटेनन ने कहा कि ड्रोन दीवार योजना में समय के साथ सुधार होगा।
फिनलैंड, जो 2023 में नाटो में शामिल हुआ, रूस के साथ 832 मील की सीमा साझा करता है। ड्रोन की दीवार परियोजना में भाग लेने वाले छह देशों के गृह मंत्रियों ने 23 और 24 मई को लातवियाई की राजधानी रीगा में मुलाकात की। उन्होंने अतीत का हवाला देते हुए सुरक्षा खतरों को देखते हुए रणनीतिक मुद्दों पर चर्चा की।
हालांकि, इस पूरी योजना पर पूर्व स्वीडिश सशस्त्र बल अधिकारी का कहना है कि हाल ही में लिथुआनिया द्वारा प्रचारित "ड्रोन वॉल" योजना, जिसमें कई नाटो राज्यों की सीमाओं की सुरक्षा के लिए ड्रोन का उपयोग शामिल है, इस योजना के एंटी-ड्रोन सिस्टम से लैस होने के कारण इतना प्रभावी नहीं हो सकता है।