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दुनिया की 59 प्रयोगशालाओं में हैं सबसे घातक रोगवाहक, सिर्फ एक चौथाई में है उच्च सुरक्षा मानक

By भाषा | Updated: June 15, 2021 17:06 IST

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फिलिपा लेंटज़ोस, किंग्स कॉलेज लंदन और ग्रेगरी कोब्लेंट्ज़, जॉर्ज मेसन विश्वविद्यालय

लंदन/वर्जीनिया, 15 जून (द कन्वरसेशन) क्या कोरोना वायरस सार्स-कोव-2 अति जोखिम वाले शोध का गलत परिणाम था? इस सवाल का जवाब चाहे जो भी हो, खतरनाक रोगवाहकों के साथ अनुसंधान से उत्पन्न होने वाली भविष्य की महामारियों का जोखिम वास्तविक है।

इस लैब-लीक चर्चा का केंद्र बिंदु वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी है, जो वुहान के बाहरी पहाड़ी इलाके में स्थित है। यह दुनिया भर में निर्माणाधीन या नियोजित 59 अधिकतम नियंत्रण प्रयोगशालाओं में से एक है।

इन प्रयोगशालाओं को जैव सुरक्षा स्तर 4 (बीएसएल 4) प्रयोगशालाओं के रूप में जाना जाता है। इन्हें इसलिए बनाया जाता है ताकि शोधकर्ता यहां सुरक्षित माहौल में दुनिया के सबसे खतरनाक रोगवाहकों के साथ काम कर सकें - जो गंभीर बीमारी का कारण बन सकते हैं और जिनके लिए कोई इलाज या टीका मौजूद नहीं है। इस दौरान शोधकर्ताओं को स्वतंत्र ऑक्सीजन के साथ पूरे शरीर के दबाव वाले सूट पहनने की आवश्यकता होती है।

23 देशों में फैली, बीएसएल4 प्रयोगशालाओं का सबसे बड़ा संकेंद्रण यूरोप में है, जिसमें 25 प्रयोगशालाएं हैं। उत्तरी अमेरिका और एशिया में क्रमशः 14 और 13 हैं। ऑस्ट्रेलिया में चार और अफ्रीका में तीन हैं। वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी की तरह, दुनिया के तीन-चौथाई बीएसएल4 लैब शहरी केंद्रों में हैं।

3000 वर्ग मीटर लैब क्षेत्र के साथ वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी दुनिया की सबसे बड़ी बीएसएल4 लैब है, हालांकि जल्दी ही अमेरिका में कैनसस स्टेट यूनिवर्सिटी में नेशनल बायो एंड एग्रो-डिफेंस फैसिलिटी दुनिया की सबसे बड़ी लैब होगी । जब यह पूरी हो जाएगी, तो यह 4,000 वर्गमीटर लैब स्पेस के साथ सबसे बड़ी लैब होने का दावा करेगा।

इनके मुकाबले अधिकांश प्रयोगशालाएं काफी छोटी हैं, 44 प्रयोगशालाओं में से आधी, जहां डेटा उपलब्ध है, 200 वर्ग मीटर से कम है - एक पेशेवर बास्केटबॉल कोर्ट के आकार के आधे से भी कम या टेनिस कोर्ट के आकार का लगभग तीन-चौथाई।

लगभग 60% बीएसएल4 प्रयोगशालाएं सरकार द्वारा संचालित सार्वजनिक-स्वास्थ्य संस्थान हैं, 20% विश्वविद्यालयों द्वारा और 20% जैव-रक्षा एजेंसियों द्वारा संचालित हैं। इन प्रयोगशालाओं का उपयोग या तो अत्यधिक घातक और संक्रमणीय रोगवाहकों के साथ संक्रमण का निदान करने के लिए किया जाता है, या इनका उपयोग इन रोगवाहकों पर शोध करने के लिए किया जाता है ताकि हम यह समझ सकें कि वे कैसे काम करते हैं और नई दवाएं, टीके और निदान परीक्षण विकसित किए जा सकें।

लेकिन यह सभी प्रयोगशालाएं सुरक्षा मानकों का कितना पालन करती हैं? वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा सूचकांक, जो यह मापता है कि क्या देशों के पास जैव सुरक्षा और जैव संरक्षा पर कानून, विनियम, निरीक्षण एजेंसियां, नीतियां और प्रशिक्षण है, इस बारे में हकीकत बताता है। अमेरिका स्थित न्यूक्लियर थ्रेट इनिशिएटिव के नेतृत्व में, सूचकांक से पता चलता है कि बीएसएल4 प्रयोगशालाओं वाले सिर्फ एक-चौथाई देशों ने ही जैव सुरक्षा के लिए उच्च स्कोर प्राप्त किया है। इससे पता चलता है कि जैव जोखिम प्रबंधन की व्यापक प्रणाली विकसित करने के लिए देशों में सुधार की काफी गुंजाइश है।

जैव सुरक्षा और जैव संरक्षा नियामकों के अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह की सदस्यता, जहां राष्ट्रीय नियामक प्राधिकरण इस क्षेत्र में सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करते हैं, राष्ट्रीय जैव सुरक्षा और जैव संरक्षा उपायों का एक और संकेतक है।

आप इसे क्या कहेंगे कि बीएसएल4 लैब वाले केवल 40% देश इस मंच के सदस्य हैं: ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, जापान, सिंगापुर, स्विट्जरलैंड, ब्रिटेन और अमेरिका। यही नहीं जैव सुरक्षा और जैव संरक्षा जोखिमों को कम करने एवं प्रबंधन प्रक्रियाओं को स्थापित करने के लिए 2019 में शुरू की गई स्वैच्छिक बायोरिस्क प्रबंधन प्रणाली (आईएसओ 35001) पर अभी तक किसी भी प्रयोगशाला ने हस्ताक्षर नहीं किए हैं।

अधिकतम नियंत्रण प्रयोगशालाओं वाले अधिकांश देश दोहरे उपयोग वाले अनुसंधान को विनियमित नहीं करते हैं। यह ऐसे प्रयोग हैं जो शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए किए जाते हैं लेकिन इन्हें नुकसान पहुंचाने के लिए अनुकूलित भी किया जा सकता है; या लाभ कार्य अनुसंधान, जो रोग पैदा करने के लिए रोगवाहक की क्षमता को बढ़ाने पर केंद्रित है।

बीएसएल4 लैब वाले 23 देशों में से तीन (ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और अमेरिका) में दोहरे उपयोग वाले अनुसंधान की निगरानी के लिए राष्ट्रीय नीतियां हैं। कम से कम तीन अन्य देशों (जर्मनी, स्विट्ज़रलैंड और ब्रिटेन) में दोहरे उपयोग की निगरानी के कुछ तरीके हैं, उदाहरण के लिए, वित्त पोषण निकाय अपने अनुदान प्राप्तकर्ताओं के दोहरे उपयोग के निहितार्थ वाले शोध की समीक्षा करते है।

बीएसएल4 लैब की बढ़ती मांग

कोरोनवायरसों पर वैज्ञानिक अनुसंधान में एक बड़ा हिस्सा ऐसे देशों में है, जहां दोहरे उपयोग अनुसंधान या लाभ-कार्य प्रयोगों की कोई निगरानी नहीं है।

यह विशेष रूप से चिंता का विषय है क्योंकि कोरोनवायरसों के साथ लाभ कार्य अनुसंधान बढ़ने की संभावना है क्योंकि वैज्ञानिक इन वायरस को बेहतर ढंग से समझना चाहते हैं और यह पहचानने की कोशिश कर रहे हैं कि कौन से वायरस जानवरों से मनुष्यों में आए या मनुष्यों के बीच संक्रामक होने का उच्च जोखिम रखते हैं। आशा है कि और देश बीएसएल4 प्रयोगशालाएं स्थापित करेंगे ताकि महामारी से निपटने की तैयारी पर सकें।

कोविड-19 महामारी ने संक्रामक रोगों से उत्पन्न जोखिमों और जीवन को बचाने के लिए एक मजबूत जैव चिकित्सा अनुसंधान ढांचे के महत्व को रेखांकित किया है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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