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22 करोड़ की होती है इस व्हेल मछली की उल्टी, रातोंरात बन सकते हैं करोड़पति, जानें डिटेल

By स्वाति सिंह | Updated: October 27, 2020 15:50 IST

स्पर्म व्हेल में भी बहुत कम ही होती हैं जो एम्बरग्रिस बनाती हैं। फिर इसके समंदर में तैरते तैरते या किनारे लगने पर किसी को मिल जाना चांस की बात है। इसीलिए एम्बरग्रिस बेहद महंगा होता है। काले एम्बरग्रिस में सबसे कम एम्बरीन होता है। इसीलिए इसकी कीमत सबसे कम होती है। रंग के साथ-साथ एम्बरीन की मात्रा बढ़ती है और सबसे ज़्यादा दाम मिलते हैं सफेद एम्बरग्रिस के।

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ठळक मुद्देव्हेल मछली की उल्टी सोने से भी ज्यादा महंगी बिकती है। व्हेल मछली की उल्टी की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में 22 करोड़ रुपये तक होती है।

ठाणे: आपको यह जानकर बेहद हैरानी होगी व्हेल मछली की उल्टी सोने से भी ज्यादा महंगी बिकती है। जी हाँ, व्हेल मछली की उल्टी की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में 22 करोड़ रुपये तक होती है। ये खुलासा पिछले साल कुछ तस्करों ने किया है जिन्हें महाराष्ट्र के ठाणे की क्राइम ब्रांच ने व्हेल मछली की उल्टी की तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया था।

दरअसल, ये उल्टी स्पर्म व्हेल की थी। व्हेल मछलियों की एक किस्म जो अपने भारी भरकम सिर के चलते अलग ही पहचान में आती हैं। पूरी तरह विकसित स्पर्म व्हेल एक स्कूल बस से भी बड़ी हो सकती है। 49 से 59 फीट लंबाई और 35 से 45 टन तक वजन हो जाता है। एक बार में ये 90 मिनिट तक गोता लगा सकती हैं। इतने वक्त में ये खाने की तलाश में ये समंदर में एक किलोमीटर की गहराई तक उतर जाती हैं।

स्पर्म व्हेल में भी बहुत कम ही होती हैं जो एम्बरग्रिस बनाती हैं। फिर इसके समंदर में तैरते तैरते या किनारे लगने पर किसी को मिल जाना चांस की बात है। इसीलिए एम्बरग्रिस बेहद महंगा होता है। काले एम्बरग्रिस में सबसे कम एम्बरीन होता है। इसीलिए इसकी कीमत सबसे कम होती है। रंग के साथ-साथ एम्बरीन की मात्रा बढ़ती है और सबसे ज़्यादा दाम मिलते हैं सफेद एम्बरग्रिस के।

क्यों बेशकीमती है व्हेल की ये 'उल्टी' 

व्हेल मछली की उल्टी जम जाने की वजह से इनकी कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में करोड़ों रुपये तक पहुंच जाती है। इन्हें समुद्र से निकालने में कई महीनों का समय लगता है। काफी तलाश के बाद ही इन्हें हासिल किया जा सकता है। पकड़े गए आरोपियों के मुताबिक इसका इस्तेमाल खास तरह के परफ्यूम बनाने में होता है। इसके अलावा प्लेग की रोकथाम में भी इसका इस्तेमाल होता है। इसके साथ-साथ इसका इस्तेमाल कई तरह की बीमारियों में दवा के इस्तेमाल के लिए भी होता है।

आखिर यह पत्थर है क्या?

कई वैज्ञानिक इसे व्‍हेल की उल्‍टी बताते हैं तो कई इसे मल बताते हैं। यह व्‍हेल के शरीर के निकलने वाला अपशिष्‍ट होता है जो कि उसकी आंतों से निकलता है और वह इसे पचा नहीं पाती है। कई बार यह पदार्थ रेक्टम के ज़रिए बाहर आता है, लेकिन कभी-कभी पदार्थ बड़ा होने पर व्हेल इसे मुंह से उगल देती है। वैज्ञानिक भाषा में इसे एम्बरग्रीस कहते हैं।

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