'जंगलों का विश्वकोष' नाम से चर्चित हैं पद्मश्री से सम्मानित तुलसी गौड़ा, जानिए सोशल मीडिया पर लोग क्यों कर रहे तारीफ
By विशाल कुमार | Published: November 9, 2021 03:48 PM2021-11-09T15:48:45+5:302021-11-09T18:21:55+5:30
राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अन्य माननीय सदस्यों की मौजूदगी में आदिवासी समुदाय से आने वाली कर्नाटक की 72 वर्षीय पर्यावरणविद तुलसी गौड़ा बेहद ही साधारण भेषभूषा में सम्मान लेने के लिए पहुंची थीं. उन्होंने अपनी पारंपरिक साड़ी पहनी हुई थी जबकि उनके पैरों में चप्पल तक नहीं थे.
नई दिल्ली: कर्नाटक की 72 वर्षीय पर्यावरणविद तुलसी गौड़ा को पिछले छह दशकों से पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काम करने और 30 हजार से अधिक पौधे लगाने के लिए सोमवार को राष्ट्रपति के हाथों पद्मश्री से सम्मानित किया गया.
राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अन्य माननीय सदस्यों की मौजूदगी में आदिवासी समुदाय से आने वाली गौड़ा बेहद ही साधारण भेषभूषा में सम्मान लेने के लिए पहुंची थीं. उन्होंने अपनी पारंपरिक साड़ी पहनी हुई थी जबकि उनके पैरों में चप्पल तक नहीं थे.
प्रधानमंत्री द्वारा हाथ जोड़कर उनका अभिवादन स्वीकार करने की तस्वीर के साथ ही उनकी इस सादगी ने सोशल मीडिया पर लोगों का दिल जीत लिया और हर कोई उनकी तारीफ कर रहा है.
Million Gretas don’t come close to true environmentalists that our soil produces. Tulsi Gowda- Pride of India pic.twitter.com/bLw9D6g2Cm
— Sunanda Vashisht (@sunandavashisht) November 8, 2021
'जंगलों का विश्वकोष' के नाम से चर्चित
कर्नाटक में हलक्की स्वदेशी जनजाति से आने वाली तुलसी गौड़ा एक गरीब और वंचित परिवार में पली-बढ़ी हैं. उन्होंने कभी औपचारिक शिक्षा प्राप्त नहीं की. उनके पास पौधों और जड़ी-बूटियों की विविध प्रजातियों पर विशाल ज्ञान है. यही कारण है कि उन्हें 'जंगलों का विश्वकोष' कहा जाता है.
12 साल की उम्र से ही पर्यावरण से जुड़ने वाली एक अस्थायी स्वयंसेवक के रूप में वन विभाग में भी शामिल हुई थीं जिसके बाद उन्हें विभाग में स्थायी नौकरी की पेशकश की गई. वह अब युवाओं के साथ अपना विशाल ज्ञान साझा करती हैं.
सोशल मीडिया पर आम से लेकर खास, सभी बांध रहे तारीफों के पुल
कुलदीप दंतेवाडिया लिखते हैं कि अगर हमारे देश की हर गली और मोहल्ले/समुदाय में तुलसी गौड़ा हैं हमें संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन की जरूरत नहीं है. अगर सरकार वास्तव में तुलसी गौड़ा का सम्मान करती है, तो वे उनके जैसे कार्यकर्ताओं और समाधान देने वालों के साथ जुड़ेगी और पर्यावरण कानूनों को और कमजोर नहीं करेंगे.
If we have Tulsi Gowda in every street and neighborhood/community of our country. We don't need a COP26. If the Govt truly respects Tulsi Gowda, they will engage with activists and solution providers like her and not dilute environmental laws further. https://t.co/pnO9fnI1jO
— Kuldeep Dantewadia (@rbkuldeep) November 9, 2021
हमारे सबसे कीमती खजाने जंगलों के निस्वार्थ रक्षक पद्म श्री श्रीमती तुलसी गौड़ा जैसे लोग हमारे भविष्य की रक्षा करने वाले सच्चे नायक हैं...पूरी दुनिया आपकी ऋणी है.
Selfless protectors of our most previous treasure #forest like Padma Shri Smt.Tulsi Gowda are true heroes protecting our future...Entire world owes you 🙏 https://t.co/d18YTCzX5U
— Rishibha singh netam IFS (@rishibha_singh) November 9, 2021
धीरेंद्र साहू लिखते हैं कि तुलसी गौड़ा को पौधों और जड़ी-बूटियों की विविध प्रजातियों के अपने ज्ञान के कारण 'वन का विश्वकोश' के रूप में जाना जाता है और उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया है. उन्होंने 30,000 से अधिक पौधे लगाए हैं और 6 दशकों से अधिक समय तक हमारे पर्यावरण की रक्षा करने की दिशा में काम किया है.
The pic is wroth a million words 🙏
— Dhirendra Sahoo (@DhiruSahoo) November 9, 2021
Tulsi Gowda known as the 'Encyclopedia of Forest' bz of her knowledge of diverse species of plants & herbs conferred with #PadmaShree
She has planted over 30,000 saplings and worked towards protecting our environment for more than 6 decades. pic.twitter.com/asfzFyg6Xv
आईएफएस अधिकारी प्रवीण कासवान लिखते हैं कि यह कर्नाटक की तुलसी गौड़ा हैं. अनपढ़ लेकिन पौधों और जड़ी बूटियों के विश्वकोश के रूप में जाना जाता है. एक 72 वर्षीय संरक्षणवादी वह नई पीढ़ी के साथ वनों के बारे में अपना ज्ञान साझा करती हैं. आज पर्यावरण के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया.
She is Tulsi Gowda from #Karnataka. Illiterate but known as Encyclopaedia of #Plants & #Herbs. A 72 years old #conservationist she shares her knowledge about #forests with new generation. Today nominated for #Padma Shri award for her contribution in #Environment field. Kudos 👍🏼 pic.twitter.com/f9RfV4KX4T
— Parveen Kaswan, IFS (@ParveenKaswan) January 25, 2020
कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार लिखते हैं कि कर्नाटक की श्रीमती तुलसी गौड़ा ने 6 दशकों से अधिक समय तक पर्यावरण के लिए अथक परिश्रम किया है, 30,000 से अधिक पौधे लगाए हैं, जो हमारे समाज के लिए एक उल्लेखनीय योगदान है. उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किए जाने पर बहुत-बहुत बधाई.
Karnataka's Smt. Tulsi Gowda has worked tirelessly for the environment for over 6 decades, planting more than 30,000 saplings, which is a remarkable contribution to our society. Many congratulations to her on being bestowed the #PadmaShri.
— DK Shivakumar (@DKShivakumar) November 9, 2021