केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने रविवार( 22 दिसंबर) को कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) भारत के मुसलमानों के खिलाफ नहीं है। उन्होंने कहा कि बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर, जवाहर लाल नेहरू और महात्मा गांधी इस बात को लेकर स्पष्ट थे कि केवल हिंदुओं, ईसाई, सिख, जैन, पारसी और बौद्ध जैसे अल्पसंख्यकों को पाकिस्तान और अफगानिस्तान में सताया गया था और भारत में शरणार्थी माना जाएगा।
द इकॉनोमिक टाइम्स में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, नितिन गडकरी ने कहा, "संविधान में लिखा गया है कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान के हिंदू, जैन, ईसाई और बौद्ध जब भी भारत आएंगे, उन्हें शरणार्थी माना जाएगा।" नितिन गडकरी ने यह बात रविवार को भाजपा और आरएसएस द्वारा आयोजित एक नागपुर रैली में कही।
मंत्री ने कांग्रेस पर "वोट बैंक की राजनीति" के मुद्दे पर "गलत सूचना" फैलाने का आरोप लगाया। नितिन गडकरी का यह बयान ट्रेंड कर रहा है। नितिन गडकरी के बयान पर कई लोगों ने प्रतिक्रिया देते हुए लिखा है कि अब आप हमें झूठ मत बोलिए। कई लोगों ने लिखा है कि हम आपके और आपकी सरकार की बातों में अब नहीं आने वाले हैं।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 12 दिसंबर को नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019 को अपनी मंजूरी दे दी, जिसके बाद यह एक कानून बन गया है। इसके बाद से नागरिकता संशोधित कानून (CAA) और प्रस्तावित राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC) को लेकर पिछले हफ्ते देश के कई इलाकों में हिसंक प्रदर्शन हुए। स्थिति को काबू में करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज और आंसू गैस छोड़े। सोशल मीडिया पर लोगों ने पुलिस पर बर्बरता करने का भी आरोप लगाया था। रिपोर्ट के मुताबिक हिंसक प्रदर्शन में तकरीबन एक दर्जन लोगों की मौत हो गई है। इसके साथ ही कई पुलिसकर्मी घायल भी हैं।