VIDEO: दोस्त की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए डीजे पर थिरका बुजुर्ग शख्स, कुछ यूं दी अंतिम विदाई

By मुकेश मिश्रा | Updated: July 31, 2025 13:42 IST2025-07-31T13:41:34+5:302025-07-31T13:42:25+5:30

Mandsaur Video Viral: इस घटना ने साबित किया कि जहां रिश्ते औपचारिकताओं में बंध जाते हैं, वहीं कुछ दोस्ती ऐसी होती है, जो अर्थी की धुन पर भी मुस्कान में झूमती है।

Mandsaur Video Viral Elderly man danced on DJ to fulfill his friend last wish | VIDEO: दोस्त की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए डीजे पर थिरका बुजुर्ग शख्स, कुछ यूं दी अंतिम विदाई

VIDEO: दोस्त की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए डीजे पर थिरका बुजुर्ग शख्स, कुछ यूं दी अंतिम विदाई

Mandsaur Video Viral:  30 जुलाई को मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले के जवासिया गांव की गलियों में एक अंतिम यात्रा निकली, लेकिन यह कोई आम यात्रा नहीं थी। कंधों पर एक अर्थी थी, लेकिन रुदन की जगह बैंड-बाजे की गूंज थी। एक बुजुर्ग की विदाई थी, लेकिन आंखों से आंसुओं के बजाय, दोस्ती की चमक छलक रही थी। और इस सबके केंद्र में थे—71 वर्षीय सोहनलाल जैन, जिनकी अंतिम इच्छा ने उनकी विदाई को अविस्मरणीय बना दिया।

 मुझे नाचकर विदा करना मित्र — दोस्ती की आखिरी चिट्ठी 

9 जनवरी 2021 को सोहनलाल जैन ने अपने सबसे घनिष्ठ मित्र अंबालाल प्रजापत को एक खत लिखा था। उस खत में मौत की आहट तो थी, पर वह डर नहीं, एक मुस्कान के साथ लिखी गई विदाई थी। उन्होंने लिखा था:

जब मैं इस दुनिया में न रहूं, तब मेरी अंतिम यात्रा में शामिल होकर मेरी अर्थी के आगे नाचते हुए मुझे विदा करना। रोना-धोना मत करना, सब कुछ खुशी-खुशी होना चाहिए।"_

कैंसर से पीड़ित सोहनलाल को शायद अहसास था कि अब वक्त ज़्यादा नहीं है, लेकिन उन्होंने अपने आखिरी पलों को डर और दु:ख के बजाय अपने मित्र के साथ मुस्कान में ढाल दिया।

 जब गांव ने टोका, फिर भी निभाई 'वचन की दोस्ती' 

अंतिम यात्रा के दिन अंबालाल ने बैंड-बाजे के साथ अर्थी के आगे नाचना शुरू किया। गांववालों ने परंपरा का हवाला देकर उन्हें रोका—"यह तो अंतिम संस्कार है, यहां नाचना शोभा नहीं देता!" मगर अंबालाल अडिग रहे। उनकी आंखों में आंसू नहीं, बल्कि अपने दोस्त का दिया वचन निभाने का दृढ़ संकल्प था।

यह मेरे दोस्त की आखिरी इच्छा थी… कैसे न मानता?", उन्होंने बस इतना ही कहा।

 चाय से शुरू हुई, प्रभात फेरी में पनपी दोस्ती 

करीब 20 साल पहले सोहनलाल सिहोर गांव से जवासिया आए थे और वहां दुकान खोली। रोज़ की शुरुआत होती थी अंबालाल की चाय से। धीरे-धीरे चाय कप से निकलकर एक गहरी दोस्ती के प्याले में बदल गई। पिछले 10 सालों से दोनों हर सुबह 5 बजे गांव में प्रभात फेरी निकालते थे, रामधुन गाते थे, और दिन में कई बार मिलते। जवासिया की गलियों में उनकी दोस्ती मिसाल बन चुकी थी।

 एक खत… जिसमें थे प्रेम, क्षमा और विदाई के बोल 

अपने उस आखिरी खत में सोहनलाल जैन ने सिर्फ एक इच्छा नहीं जताई, उन्होंने अपने मित्र से क्षमा भी मांगी।
और अंत में एक आत्मीय और अंतिम "राम-राम"। यह वो शब्द थे जो सिर्फ एक विदाई नहीं, बल्कि जीवनभर की मित्रता का सम्मान थे।

 दोस्ती की यह परिभाषा अमर हो गई 

सोहनलाल चले गए। लेकिन अंबालाल ने यह जतला दिया कि सच्ची दोस्ती थमती नहीं, वह मृत्यु के पार भी निभाई जाती है। गांववालों की आंखों में अन्ततः नमी थी—पर उसका कारण ना मृत्यु का दुख था, ना परंपरा का टूटना, बल्कि एक दोस्त की निभाई वादा निभाने की जिद थी।

इस घटना ने साबित किया कि जहां रिश्ते औपचारिकताओं में बंध जाते हैं, वहीं कुछ दोस्ती ऐसी होती है, जो अर्थी की धुन पर भी मुस्कान में झूमती है। यह कहानी है एक छोटी सी जगह की, लेकिन इसका हृदय इतना बड़ा है कि यह पूरी दुनिया को दोस्ती का नया अर्थ सिखा सकती है।

Web Title: Mandsaur Video Viral Elderly man danced on DJ to fulfill his friend last wish

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