नागरिकता बिल का ज्योतिरादित्य सिंधिया करना चाहते थे विरोध लेकिन हो गई दो चूक, ट्वीट को लेकर जमकर हुए ट्रोल
By पल्लवी कुमारी | Published: December 12, 2019 11:10 AM2019-12-12T11:10:56+5:302019-12-12T11:10:56+5:30
नागरिकता संशोधन बिल के तहत पड़ोसी देशों से शरण के लिए भारत आए हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है।
नागरिकता संशोधन विधेयक को राज्यसभा में 11 दिसंबर और लोकसभा में 9 दिसंबर को मंजूरी मिल चुकी है। विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस इस बिल के खिलाफ है। इसी क्रम में अपना विरोध दर्ज कराते कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एक ट्वीट किया। लेकिन अपने ही ट्वीट में उनसे दो चूक हो गई है। जिसको लेकर वह ट्विटर पर ट्रोल हो गए हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 11 दिसंबर की शाम 4 बजकर 18 मिनट पर एक ट्वीट किया। उन्होंने ट्वीट में लिखा, ''#CAB2019 संविधान की मूल भावना के खिलाफ है,भारतीय संस्कृति के विपरीत भी है। अंबेडकर जी ने संविधान लिखते समय किसी को धर्म, जात के दृष्टिकोण से नहीं देखा था। भारत का इतिहास रहा है कि हमने सभी को अपनाया है- वासुदेव कुटुंबकम (वसुधैव कुटुंबकम ) भारत की विशेषता है। धर्म के आधार पर पहले कभी ऐसा नहीं हुआ।''
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस ट्वीट में नागरिकता संशोधन विधेयक को भारत की संस्कृति के खिलाफ बताया है। लेकिन इस बात की पुष्टी के लिए जो उन्होंने लिखा, ''भारत का इतिहास रहा है कि हमने सभी को अपनाया है- वसुधैव कुटुंबकम भारत की विशेषता है।'' सोशल मीडिया पर लोग कह रहे हैं कि अगर वसुधैव कुटुंबकम भारत की विशेषता है, तो फिर इस बिल से उनको क्या दिक्कत है। 'वसुधैव कुटुंबकम' का अर्थ होता है, 'संपूर्ण पृथ्वी एक परिवार है'। कुछ यूजर ने यह भी कहा है कि अगर आप मानते हैं कि 'संपूर्ण पृथ्वी एक परिवार है' तो फिर उस परिवार के लोगों को अपनाने में क्या दिक्कत है।
बता दें कि ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने ट्वीट में वसुधैव कुटुंबकम को गलत लिखने पर भी ट्रोल हो रहे हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने ट्वीट में 'वसुधैव कुटुंबकम' की जगह 'वासुदेव कुटुंबकम' लिखा है।
देखें लोगों की प्रतिक्रिया
सिंधिया जी आप से ये उम्मीद नहीं थी किया आप के इस वासुदेव कुटुंबकम में मुस्लिम नही है हमें तो पड़ाया गया कि इस का मतलब पूरी दुनिया एक परिवार की तरह है और परिवार है तो किसी से साथ कोई भी बेध भाव नहीं होता।#CAB2019https://t.co/Ak4HIMHCWL
— Nehal Ansari 🇮🇳 (@Nehalansari8237) December 11, 2019
पलट गए ये तो सर जी
— Chhaya Gupta (@ChhayaGupta13) December 11, 2019
हम भारत के लोग "वासुदेव कुटुंबकम " में "वासुदेव को मानने वाले " ना कि अपने "कुटुंब को फैलाने वाले " का ही CBA में स्वागत करते हैं । pic.twitter.com/lDT1RwpGPG
— Mahesh Joshi (@MaheshJ22703466) December 11, 2019
जब संविधान धर्म या जाति के आधार पर नहीं बना तो जातिगत आरक्षण क्यों, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड क्यों, सामान नागरिक कानून क्यों नहीं
— Prafulla Pitale (@PrafullaPitale) December 11, 2019
अम्बेडकर जी ने आरक्षण सिर्फ़ १० साल के लिए दिया था वो अभी परमानेंट क्यों
फ़ालतू की बात मत करो
और वासुदेव कुटुंबकम् नहीं वसुधैवकुटुंबकम् है https://t.co/Ei4roIetNw
Fir ye kya hai..? pic.twitter.com/7iaprrcleN
— Paras Rai 🇮🇳 (@raiparas) December 11, 2019
जो लोग गलत लिखने पर ट्रोल कर रहे हैं
वासुदेव ही कुटुंब हैं तभी तो "वासुदेव कुटुंबकम" है😊😊
— Goswami B J Gyanish (@BGyanish) December 11, 2019
"विश्व एक परिवार है" की भावना को "भारत एक धर्मशाला है" से replace करने का काम न करें। 👇 https://t.co/nnskK1PUB1
वासुदेव कुटुम्बकम नहीं वसुधैव कुटुंबकम् होता है।
— Dr. Mohan Bahuguna (@dr_mohanb) December 11, 2019
WTF on the earth is "वासुदेव कुटुंबकम"!
— Sharad Gupta (@SharadGuptaI1) December 11, 2019
Dude it is वसुधैव कुटुंबकम! https://t.co/iyVjAZ3BEz
"वासुदेव कुटुंबकम" नहीं "वसुधैव कुटुंबकम" होता है "ढाई हजार पांच सौ" के मित्र
— राहुल भारद्वाज (@rahul_phl) December 11, 2019
वासुदेव नहीं वसुधैव कुटुंबकम होता है पढ़े-लिखे महाराज जी
— शाश्वतम् तिवारी (@qk9NaKPPo9pYKie) December 11, 2019
नागरिकता संशोधन बिल है क्या? (what is Citizenship Amendment Bill (CAB)
नागरिकता संशोधन बिल के तहत पड़ोसी देशों से शरण के लिए भारत आए हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है। नागरिकता संशोधन बिल सोमवार (9 दिसंबर) को लोकसभा में पेश हुआ और विधेयक के पक्ष में 311 मत, जबकि विरोध में 80 मत पड़े।
नागरिकता संशोधन विधेयक पूरे देश में लागू किया जाएगा। लेकिन इस विधेयक का ज्यादातर भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्रों जैसे, मेघालय, मणिपुर, असम, नगालैंड, अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम में विरोध होता रहा है, क्योंकि ये राज्य बांग्लादेश की सीमा से सटे हैं।