बाप रे बाप, गुनाह कबूलने में लगे 49 साल?, 1976 में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी कन्हैया लाल ने दफ्तर से सरकारी रसीद पुस्तिका और 150 रुपये मूल्य की घड़ी की थी चोरी

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 5, 2025 17:30 IST2025-08-05T17:29:25+5:302025-08-05T17:30:20+5:30

झांसीः ‘मैराथन’ प्रक्रिया का अंत शनिवार को तब हुआ झांसी में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में कठघरे में खड़े आरोपी कन्हैया लाल ने अपने बुढ़ापे और खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए दशकों पुराने मामले में अपनी संलिप्तता स्वीकार कर ली।

Jhansi Oh my god took 49 years confess crime 1976 fourth class employee Kanhaiya Lal stolen government receipt book watch worth Rs 150 from office | बाप रे बाप, गुनाह कबूलने में लगे 49 साल?, 1976 में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी कन्हैया लाल ने दफ्तर से सरकारी रसीद पुस्तिका और 150 रुपये मूल्य की घड़ी की थी चोरी

Uttar Pradesh News (AI Photo)

Highlightsमार्च 1976 से शुरू हुआ यह मामला अनगिनत सुनवाइयों और प्रक्रियागत विलंब के कारण 49 साल से ज्यादा वक्त तक चला। 31 मार्च 1976 को टहरौली स्थित वृहद सहकारी समिति (एलएसएस) के तत्कालीन सचिव बिहारी लाल गौतम ने एक मुकदमा दर्ज कराया था।कन्हैया लाल ने रसीद पुस्तिका में जाली हस्ताक्षर किए और 14 हजार रुपये से ज्यादा की हेराफेरी की।

झांसीः झांसी जिले में लगभग 49 साल पहले एक सहकारी समिति में हुई चोरी की घटना के आखिरी जीवित आरोपी ने आखिरकार अपना जुर्म कुबूल कर लिया और अदालत ने मुकदमा दायर होने के बाद जेल में बितायी गयी अवधि को उसकी सजा में समायोजित कर मामले का निबटारा कर दिया। मार्च 1976 से शुरू हुआ यह मामला अनगिनत सुनवाइयों और प्रक्रियागत विलंब के कारण 49 साल से ज्यादा वक्त तक चला। इस दौरान दो अन्य सह-आरोपियों की मौत हो गयी। इस ‘मैराथन’ प्रक्रिया का अंत शनिवार को तब हुआ झांसी में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में कठघरे में खड़े आरोपी कन्हैया लाल ने अपने बुढ़ापे और खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए दशकों पुराने मामले में अपनी संलिप्तता स्वीकार कर ली।

अभियोजन अधिकारी अखिलेश कुमार मौर्य ने मंगलवार को बताया कि 31 मार्च 1976 को टहरौली स्थित वृहद सहकारी समिति (एलएसएस) के तत्कालीन सचिव बिहारी लाल गौतम ने एक मुकदमा दर्ज कराया था। उन्होंने शिकायत में आरोप लगाया था कि 27 मार्च 1976 को कार्यालय में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के रूप में तैनात कन्हैया लाल ने दफ्तर से एक सरकारी रसीद पुस्तिका और 150 रुपये मूल्य की एक घड़ी चोरी की थी। शिकायत में कहा गया कि कन्हैया लाल ने रसीद पुस्तिका में जाली हस्ताक्षर किए और 14 हजार रुपये से ज्यादा की हेराफेरी की।

इस मामले में लक्ष्मी प्रसाद और रघुनाथ नामक दो अन्य व्यक्तियों पर भी जाली रसीदें जारी करने और गबन करने का आरोप लगाया गया था। मौर्य ने बताया कि तीनों को कुछ ही समय बाद गिरफ्तार कर लिया गया था लेकिन बाद में उन्हें जमानत मिल गई थी। इसके बाद लगभग पांच दशकों तक इस मामले की अदालती प्रक्रिया खिंचती गयी।

इसी दौरान आरोपी लक्ष्मी प्रसाद और रघुनाथ की मौत हो गई। आखिरकार 46 साल बाद 23 दिसंबर, 2022 को मुख्य आरोपी कन्हैया लाल के खिलाफ आरोप तय किए गए। मौर्य के मुताबिक, गत शनिवार को नियमित सुनवाई के दौरान 68 वर्षीय कन्हैया लाल मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मुन्ना लाल के सामने पेश हुआ और उसने स्वेच्छा से अपना अपराध स्वीकार कर लिया।

उन्होंने कहा, ''कन्हैया लाल ने अदालत को बताया कि वह अपनी बिगड़ती सेहत और बढ़ती उम्र के कारण अपना अपराध स्वीकार करना चाहता है।'' मौर्य ने बताया कि अदालत ने कन्हैया लाल की अपराध स्वीकारोक्ति को कुबूल करते हुए उसे तत्कालीन भारतीय दंड विधान की धाराओं 380 (चोरी), 409 (लोक सेवक द्वारा आपराधिक विश्वासघात), 467, 468 (जालसाजी), 457 (घर में सेंधमारी) और 120बी (आपराधिक षड्यंत्र) के तहत मुजरिम करार दिया।

मुकदमे की अवधि में जेल में बितायी गयी छह महीने की अवधि को सजा के तौर पर समायोजित कर दिया। उन्होंने बताया कि अदालत ने कन्हैया लाल पर दो हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। अगर वह जुर्माना नहीं भरता है तो उसे तीन दिन की अतिरिक्त सजा काटनी होगी।

Web Title: Jhansi Oh my god took 49 years confess crime 1976 fourth class employee Kanhaiya Lal stolen government receipt book watch worth Rs 150 from office

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