पत्रकार और टीवी एंकर राजदीप सरदेसाई ट्विटर पर ट्रोल हो रहे हैं। बीजेपी आईटी सेल हेड अमित मालवीय से लेकर देश के कुछ पत्रकार भी उनकी आलोचना कर रहे हैं। राजदीप सरदेसाई ने 2007 में आईपीएस अधिकारी राजीव त्रिवेदी के खिलाफ गलत न्यूज चलाने को लेकर माफी मांगी है, जिसके बाद से ट्विटर पर हैशटैग #FakeNews के साथ राजदीप की आलोचना हो रही है। बीजेपी आईटी सेल हेड अमित मालवीय ने लिखा है, "मुझे एहसास है ... यह झूठी खबर थी"। राजदीप सरदेसाई को यह अहसास कानूनी मामले में थप्पड़ खाने के बाद हुआ है और उनके पास माफी मांगने के अलावा कोई विकल्प भी नहीं था... लेकिन आपको बता दें कि ये एक बहुत बड़े प्रोपगेंडा का हिस्सा था।''
वहीं पत्रकार कंचन गुप्ता ने भी इस खबर को शेयर किया है।
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आइए जानतें हैं 2007 का वह पूरा मामला, जिसको लेकर राजदीप सरदेसाई को कोर्ट से माफी मांगनी पड़ी है।
अमित मालवीय ने अपने ट्वीट के साथ एक अंग्रेजी वेबसाइट में छपी खबर को शेयर किया है। जिसमें दावा किया गया है कि यह मामला साल 2007 में सामने आया था, जब आईपीएस अधिकारी राजीव त्रिवेदी द्वारा राजदीप सरदेसाई और कुछ अन्य लोगों पर मानहानि का आपराधिक मुकदमा दर्ज किया गया था। जिसको लेकर राजदीप ने कोर्ट से माफी मांगी है।
राजदीप सरदेसाई उस वक्त CNN-IBN में कार्यरत थे। 2007 में राजदीप सरदेसाई की अगुवाई में सोहराबुद्दीन शेख के मुठभेड़ के संबंध में CNN-IBN पर एक खबर प्रसारित हुई, जिसमें आईपीएस राजीव त्रिवेदी पर सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड़ की घटनाओं में प्रमुख भूमिका निभाने का आरोप लगाया गया। था। जिसके बाद अतिरिक्त मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट, हैदराबाद ने राजदीप सरदेसाई और अन्य को अभियुक्त को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया था। हालांकि इसके खिलाफ राजदीप सरदेसाई ने आंध्र प्रदेश के हाई कोर्ट में याचिका दायर करके उक्त आदेश को चुनौती दी थी लेकिन अप्रैल 2011 में उसे खारिज कर दिया गया था।
आंध्र प्रदेश के हाई कोर्ट में याचिका खारिज होने के बाद राजदीप सरदेसाई ने सुप्रीम कोर्ट में इसको चुनौती दी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी राजदीप की इस याचिका को 14 मई, 2015 खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही नोएडा में मुकदमे को स्थानांतरित करने की याचिका को भी खारिज कर दिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट में राजदीप के पक्षकार ने कहा था कि आपराधिक कार्यवाही 'प्रेस की स्वतंत्रता' के लिए खतरा हो सकती है। लेकिन कोर्ट ने राजदीप के उक्त दलील को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि व्यक्तिगत प्रतिष्ठा समान रूप से महत्वपूर्ण है और इसे प्रेस की स्वतंत्रता के नाम पर नहीं रौंदा जा सकता।
जिसके बाद राजदीप ने 27 नवंबर 2017 को कोर्ट से लिखित रूप से माफी मांगी। राजदीप ने माफीनामे में इस बात को स्वीकार किया कि उन्होंने आईपीएस अधिकारी राजीव त्रिवेदी पर झूठे आरोप लगाए थे और उन्होंने झूठी खबर का प्रचार-प्रसार किया था। माफीनामे के बाद इस केस को जनवरी 2020 में बंद कर दिया गया है।