भारत-चीन सीमा पर जारी विवाद के बीच जाने माने इनोवेटर सोनम वांगचुक ने भारत के लोगों से चीन के द्वारा बनाई गई चीजों को बहिष्कार करने की अपील की है। सोनम वांगचुक ने अपने यूट्यूब पर एक वीडियो शेयर किया है जिसमें वह भारत और चीन के बीच लड़ाई में आम जनता का क्या योगादान हो सकता है इसके बारे में बता रहे है।
ये वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। सोनम बांगचुक वही शख्स है जिनके चरित्र पर सुपरहिट फिल्म 'थ्री ईडियट्स' केंद्रित है। आमिर खान इस फिल्म में फुंसूक वांगडू का किरदार करते हैं जो सोनम से प्रेरित है।
सोनम अपने वीडियो में कहते हैं कि पूरा भारत चीनी सामान का बहिष्कार अभियान चलाए जिससे चीन का आर्थिक स्थिति खराब हो और अपने रवैइये को सुधार ले।
वीडियो में सोनम वांगचुक कहते हैं जब सीमा पर लड़ाई होती है तो पूरी जनता आराम से सो रही होती है। लेकिन इस बार केवल सैनिकों को जवाब नहीं देना चाहिए, यह जिम्मेदारी नागरिकों को भी होना चाहिए। उन्होंने कहा इस बार बुलेट पावर के बजाय वॉलेट पावर अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। हर साल भारत मे चीन को लगभग 5 रुपये की कमाई होती है। भारत के साथ उसके व्यवसाय से लाखों करोड़ रुपये और यह पैसा बदले में हमारे सैनिकों को मारने के लिए सीमाओं पर उपयोग किया जाता है।
वे कहते हैं, देश के 130 करोड़ लोग और बाकि के 3 करोड़ लोग जो बहार हैं, सब मिलकर अगर चीन में बने सामान का बहिष्कार करे तो इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा और दूसरे देश भी ऐसा ही करेंगे। इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। चीनी अर्थव्यवस्था और लोगों को गुस्सा आएगा और एक क्रांती होगी। वांगचुक कहते हैं, यह केवल फोन और कंप्यूटर के बारे में नहीं है, यह टिकटॉक जैसे सॉफ्टवेयर्स और ऐप पर भी लागू होता है, जिनका बहिष्कार करने की जरुरत है। भारत आत्मनिर्भर हो जाएगा और भारत में बनने वाली चीजें फले-फूलेगी लोगों को रोजगार मिलेगा।
उन्होंने कहा चीनी सॉफ्टवेयर को एक हफ्ते और हार्डवेयर को एक साल के अंदर हमे अपने जीवन से निकाल देना चाहिए। इसके अलावा सोनम वांगचुक खुद अपने फोन और रखे सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ भारत नहीं है, बल्कि चीन को वियतनाम, ताइवान और यहां तक कि हांगकांग से भी समस्या रही है। वांगचुक के अनुसार, चीन घरेलू परेशानियों का सामना करने के लिए अपनी सीमाओं पर तनाव पैदा कर रहा है। चीन अपने ही लोगों से सबसे ज्यादा डरता है जो बिना किसी मानवाधिकारों के अपने देश में बंधुआ मजदूरों की तरह व्यवहार किया जाता है।
जिस समय चीन के लोग दुखी हो जाते हैं, वे विद्रोह में उठते हैं और उस स्थिति से बचने के लिए और उन परिस्थितियों से ध्यान हटाने के लिए, चीन अपनी सीमाओं पर युद्ध जैसी स्थिति पैदा करता है। ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है। वर्ष 1962 में भी ऐसा ही हुआ था जब चीन ने भारत के खिलाफ 4 साल तक चले बड़े अकाल का सामना करने के लिए लड़ाई लड़ी थी।