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Makar Sakranti 2021: मकर संक्रांति 2021 कब है, पूजा का शुभ मुहूर्त

By प्रतीक्षा कुकरेती | Published: January 8, 2021 11:58 AM2021-01-08T11:58:04+5:302021-01-08T11:58:21+5:30

हिन्दू धर्म में मकर सक्रांति के त्यौहार का विशेष महत्व होता है. मान्यता है कि इस दिन से पिछले एक महीने से चला आ रहा मलमास या खरमास का समय खत्म हो जाता है. इस वजह से सभी मांगलिक कार्य जैसै शादी-विवाह और दूसरे शुभ कार्य भी शुरू हो जाते हैं. देश के अलग-अलग हिस्सों में मकर संक्रांति मनाने की अलग-अलग परंपराएं है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और दान आदि करने का भी काफी महत्व है. 
 

हिन्दू मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण होता है और मकर राशि में प्रवेश करता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं. मकर संक्रांति से ही ऋतु परिवर्तन भी होने लगता है. शास्त्रों के अनुसार इस दौरान स्नान-दान से कई गुना फल प्राप्त होता है. इस दिन सूर्यदेव की विधि-विधान के साथ पूजा करने पर व्यक्ति को मनचाहा वरदान मिलता है.
 

इस साल मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को मनाया जाएगा. मकर संक्रांति से ही ऋतु परिवर्तन भी होने लगता है. इस दिन स्नान और दान-पुण्य जैसे कार्यों का विशेष महत्व माना जाता है. मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी बनाने और खाने का खास महत्व होता है. इसी कारण इस पर्व को कई जगहों पर खिचड़ी का पर्व भी कहा जाता है.
 

ऐसी मान्यता है कि इसी त्यौहार पर सूर्य देव अपने पुत्र शनि से मिलने के लिए आते हैं. सूर्य और शनि का सम्बन्ध इस पर्व से होने के कारण यह काफी महत्वपूर्ण हो जाता है. आम तौर पर शुक्र का उदय भी लगभग इसी समय होता है इसलिए यहां से शुभ कार्यों की शुरुआत होती है. अगर कुंडली में सूर्य या शनि की स्थिति खराब हो तो इस पर्व पर विशेष तरह की पूजा से उसको ठीक कर सकते हैं.

 

मकर संक्रांति मुहूर्त (Makar Sankranti Shubh Muhurat)

पुण्य काल मुहूर्त: सुबह 08:03:07 से 12:30:00 तक
महापुण्य काल मुहूर्त: सुबह 08:03:07 से 08:27:07 तक 

उत्तरायण से दिन की अवधि बढ़ती चली जाती है जबकि रातें छोटी होने लगती है. उत्तरायण को देवताओं का दिन भी कहा गया है. मकर संक्रांति देश के कई राज्यों में अलग-अलग परंपराओं के साथ मनाया जाता है.
 

साथ ही कई घरों में भगवान को खिचड़ी का भोग लगाया जाता है तो वहीं, बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में दही-चूड़ा और तिलबा (तिल का लड्डू) खाने की परंपरा है.  मकर संक्रांति को ही कई इलाकों में खिचड़ी के नाम से जाना जाता है. दक्षिण भारत में मकर संक्रांति के दिन ही पोंगल का त्योहार भी मनाया जाता है। वहीं, गुजरात में उत्तरायण पर्व तो असम, मेघालय में इस दिन को माघी बिहू के त्योहार के तौर पर मनाया जाता है. 
 

Makar Sankranti Puja Vidhi: मकर संक्रांति पर पूजा की विधि
इस दिन तड़के उठना चाहिए और नहाने के पानी में तिल डाल कर स्नान करना चाहिए. अगर संभव है तो आप पास के किसी पवित्र नदी में भी स्नान के लिए जा सकते हैं. इस दिन सूर्य देव को जल चढ़ाने के लिए तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें लाल फूल, चंदन, तिल और गुड़ भी रख लें। जल के इस मिश्रण को सूर्य देव को अर्पित करें.

जल अर्पित करते समय भगवान सूर्य के लिए 'ऊं सूर्याय नम:' मंत्र का भी जाप करें. इस दिन दान करने का भी विशेष महत्व है. ऐसे में अपनी क्षमता के अनुसार वस्त्र और अन्न दान करें। आटा, दाल, चावल, खिचड़ी और तिल का दान बेहद शुभ माना गया है. 

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