महालया के साथ ही दुर्गा पूजा के उत्सव की शुरुआत हो जाती है। महालया पितृपक्ष के समापन का भी संकेत है और इसके बाद से ही नवरात्रि की शुरुआत होती है. महालया का सबसे ज्यादा महत्व बंगाली लोगों के लिए होता है. वे इसे बहुत उत्साह से मनाते हैं। दुर्गा पूजा को बुराई पर अच्छाई के जीत के प्रतीक के तौर पर मनाया जाता है और इस दौरान उनके 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है. पितृपक्ष भाद्र पद मास की पूर्णिमा को शुरू होता है और 16 दिन रहता है. इसके बाद अश्विन मास की अमावस्या को खत्म हो जाता है. इसी अमावस्या को ही महालया अमावस्या भी कहते हैं.