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मज़दूरों की घर वापसी पर SC में गुहार, टेस्ट करा कर घर भेजे सरकार

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: April 18, 2020 07:29 PM2020-04-18T19:29:33+5:302020-04-18T19:29:33+5:30

 

3 मई तक जारी लॉकडाउन में देश के अलग-अलग शहरों में फंसे प्रवासी मज़दूरों के लिए सुप्रीम कोर्ट से कुछ राहत मिल सकती है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गयी जिसमें सुप्रीम कोर्ट से प्रवासी मजदूरों की घर वापसी के निर्देश देने की मांग की गयी है. याचिका में मांग की गयी है कि लॉकडाउन में फंसे प्रवासी मजदूरों को कोविड 19  टेस्ट के बाद अपने-अपने गांव जाने की अनुमति दी जाए. देश बर में इस वक्त कोरोनावायरस के 14,425 मरीज़ है और इस बीमारी से 488 लोगों की जान जा चुकी है.

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल इस जनहित याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकारों को इन मजदूरों को जहां वो फंसे हैं उन शहरों से उनके जिलों तक पहुंचाने के इंतज़ाम करना चाहिए. याचिका में कहा गया है कि जिन प्रवासी मजदूरों का कोविड 19 टेस्ट निगेटिव आ जाए उनको उनकी मर्जी के बिना शेल्टर होम्स या अपने परिवारों  से दूर नहीं रखा जाए. इसके लिए राज्य सरकारों को उनके शहरों और गांवों तक सुरक्षित यात्रा का इंतज़ाम करना चाहिए. याचिका में मीडिया रिपोर्टस के हवाले से कहा गया है कि कई प्रवासी मजदूरों की पुलिस और स्थानीय लोगों द्वारा पिटाई की खबरें आई हैं. ये जनहित याचिका एडीआर की ओर से वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने दायर की है. हालांकि इस पर सुनवाई की तारीख अभी तय नहीं है 

देश भर में इस वक्त हजारों प्रवासी कामगार लॉकडाउन के बाद फंसे हुए हैं और बस किसी तरह अपने घर जाना चाहते हैं. पहले चरण के 21 दिनों के लॉकडाउन के बाद भी अचानक ही इन प्रवासी कामगारों ने पलायन शुरू कर दिया था. ऐसे कई मजदूरों ने पैदल, रिक्शा और साइकिल से अपने परिवारों के साथ हजारों किलोमीटर की तकलीफदेह-भयावह यात्राएं की थी. ये मजदूर कमाई का जरिया और बचत दोनों गवां चुके हैं. वो बस किसी तरह अपने घर जाना चाहते हैं जहां उन्हें छत और दो वक्त की रोटी तो नसीब हो सके. इसके लिए उन्होंने पुलिस की लाठियों और पैरों के छालों तक की परवाह नहीं की. ये सिलसिला अब भी जारी है. देश के कई शहरों में अपने घरों तक पहुंचने के कई परिवार सड़कों पर देखे जा सकते हैं. ऐसा ही एक परिवार महाराष्ट्र के नागपुर से मध्यप्रदेश में लिए निकल पड़ा है. सुनिए उसकी कहानी.
बाइट-प्रवासी कामगार

अभी हाल भी में मुबंई के बांद्रा में हजारों प्रवासी मजदूर ट्रेन चलने की उम्मीद में स्टेशन और बस अड्डे पर जमा हो गये थे. सूरत में प्रवासी कामगारों ने घर जाने और बेहतर भोजन के लिए प्रदर्शन किया था. इस लॉकडाउन में सबसे ज्यादा मार इन प्रवासी मजदूरों पर ही पड़ी है जिसमें से अधिकतर दिहाड़ी मजदूर हैं. लॉकडाउन की वजह से फैक्ट्रियां और काम धंधे बंद होने और बचत के पैसे खत्म होने से इनके सामने खाने का संकट भी आ गया है. 

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