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प्रेमचंद जयंती: हिन्दी के सबसे बड़े उपन्यासकार के 10 अनमोल विचार

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Updated: July 31, 2018 13:37 IST

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प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को बनारस के लमही गाँव में हुआ था। प्रेमचंद का आधिकारिक नाम धनपत राय था। वो पहले नवाब राय नाम से लिखते थे। जब उनके कहानी संग्रह सोज-ए-वजन को ब्रिटिश शासन ने विद्रोह को बढ़ावा देने वाला मानकर प्रतिबन्धित कर दिया तो उन्होंने प्रेमचंद नाम से लिखना शुरू किया। प्रेमचंद आजादी से पहले शिक्षा विभाग में डिप्टी इंस्पेक्टर थे। 1921 में उन्होंने ब्रिटिश सरकार की नौकरी छोड़ दी और लेखन और प्रकाशन को अपना पूर्णकालिक पेशा बना लिया। गोदान, गबन, कर्मभूमि, निर्मला, सेवा सदन इत्यादि उपन्यासों समेत उन्होंने करीब ढाई सौ कहानियाँ लिखीं। प्रेमचंद ने हंस, माधुरी और जागर जैसी पत्र-पत्रिकाओं का संपादन भी किया। हिन्दी के इस यशस्वी पुत्र ने आठ अक्टूबर 1936 को अंतिम साँस ली। आगे पढ़ें प्रेमचंद के 10 ऐसे अनमोल वचन जो उनकी प्रगतिशील और लोकतांत्रिक सोच को प्रतिबिम्बित करते हैं।
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