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Madhya Pradesh: MP के CM मोहन यादव की उड़ी नींद !

By आकाश सेन | Published: December 12, 2023 07:57 PM2023-12-12T19:57:20+5:302023-12-12T20:00:14+5:30

HighlightsMP के CM मोहन यादव की उड़ी नींद !उज्जैन की दक्षिण विधानसभा सीट से हैं विधायक । ऐसी मान्यता है कि उज्जैन में कोई भी मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति नहीं गुजारते है रातजो भी करता है ये गलती उनकी कुर्सी चली जाती है ।

एमपी के नए मुख्यमंत्री मोहन यादव की अब नींद उड़ गई है । आप सोच रहे है कि हम ऐसा क्यों बोल रहे है। जिसके बाद अब वे मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। लेकिन शपथ ,दरअसल  बाबा महाकाल के दर्शन करने के लिए देश की बड़ी-बड़ी हस्तियों से लेकर राजनीतिक पदों पर आसीन मंत्री, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति तक आते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि उज्जैन में बाबा महाकाल का दर्शन करने के बाद कोई भी बड़ा नेता यहां रात नहीं गुजारता है। ऐसी मान्यता है कि जो भी नेता यहां रात्रि विश्राम करता है, उसकी सत्ता में वापसी नहीं हो पाती है। इसलिए हर मंत्री मुख्यमंत्री बाबा महाकाल के दरबार में रात गुजारने से डरता हैं। 

आइए जानते हैं क्या है इसके पीछे का रहस्य?


उज्जैन के राजाधिराज बाबा महाकाल है । ऐसी मान्यता है कि यहां कोई भी मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति नहीं गुजारते है रात, जो भी करता है ये गलती उनकी कुर्सी चली जाती है । क्योकिं यहां के राजा महाकाल है। ऐसी कहा जाता है कि बाबा महाकाल के दरबार में एक साथ दो राजा नहीं रूक सकते हैं।

जानिए किसे-किसे भुगतना पड़ा खामियाजा


ऐसा कहा जाता है कि भारत के चौथे प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई एक रात उज्जैन में रुके थे । दूसरे दिन ही उनकी सरकार गिर गई थी। कर्नाटक के मुख्मंत्री येदियुरप्पा ने भी उज्जैन में रात्रि विश्राम किए था। जिसके 20 दिन बाद उन्हें अपने पद से त्याग पत्र देना पड़ा था।


ऐसे में अब तो आप समझ ही गए होंगे कि एमपी के नए सीएम को उज्जैन छो़ड़ना होगा। क्योकिं जब वे आराम के लिए घर जाएंगे तो सो नहीं पाएंगे। ऐसे में उन्हे उज्जैन से शिफ्ट होना ही होगा, नहीं तो जागते रहना होगा। क्योकिं बाबा महाकाल की नगरी का एक ही राजा है वो है स्वयंभू कालों के काल बाबा महाकाल।  

कब से है यह मान्यता


अवंतिका नगरी उज्जैन राजा विक्रमादित्य के समय राज्य की राजधानी थी। मंदिर से जुड़े रहस्य और सिंहासन बत्तीसी के मुताबिक राजा भोज के समय से ही कोई भी राजा उज्जैन में रात्रि विश्राम नहीं करता है। 


जानिए क्या है मंदिर का इतिहास


पौराणिक मान्यता अनुसार उज्जैन में दूषण नामक राक्षस का आतंक फैला हुआ था। लोग उससे त्रस्त होकर शंकर जी से रक्षा के लिए आराधना करने लगे। जिसके बाद शिवजी ने महाकाल रूप में प्रकट होकर दूषण नामक दैत्य का वध किया। दैत्य से छुटकारा देने के बाद लोगों ने बाबा महाकाल से उज्जैन में निवास करने की बात कही,। जिसके बाद भगवान शिव ने यह बात मानकर वहां ज्योतिर्लिंग के रूप में विराजमान हो गए।


जानिए कैसे हुआ मंदिर का निर्माण


उज्जैन के बाबा महाकाल मंदिर का निर्माण रानाजिराव शिंदे ने 1736 में करवाया था. इसके बाद श्रीनाथ महाराज महादजी शिंदे और महारानी बायजाबई शिंदे ने इस मंदिर में समय-समय पर मरम्मत करवाई और कई बदलाव किए।

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