बिहार की राजनीति (Bihar Politics) में आज रविवार को बड़ा फैसला लिया गया है। जनता दल यूनाइटेड (JDU) के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की कमान जो की बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास थी अब रामचंद्र प्रसाद सिंह (RCP Singh) को सौंपी जाएगी। पटना (Patna) में हो रही जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक (JDU National Executive Meeting) के अंतिम दिन यह फैसला लिया गया है। वर्तमान में आरसीपी सिंह राज्यसभा में संसदीय दल के नेता हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने उनके नाम का प्रस्ताव रखा, जिसका सभी जदयू नेताओं ने समर्थन किया। हाल ही में CM नीतीश कुमार ने सिंह को राजनीतिक उत्तराधिकारी बनाए जाने की बात भी कही थी। नीतीश ने पटना स्थित पार्टी कार्यालय में नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ बैठक के दौरान यह बात कही थी कि उनके बाद सब कुछ आरसीपी सिंह ही देखेंगे।यह पहला मौका था जब CM नीतीश कुमार ने दो टूक शब्दों में उनके बाद पार्टी में कौन उनका राजनीतिक वारिस होगा, इस बारे में साफ संकेत दे दिया था। वैसे भी आरसीपी सिंह को JDU में नंबर दो भी माना जाता था क्योंकि जब पार्टी की वर्चुअल बैठक का दौर जून महीने में चल रहा था, तब लोकसभा में संसदीय दल के नेता राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह के मौजूद रहने के बावजूद भाषण देने का जो क्रम बनता था, उसमें नीतीश कुमार से पहले आरसीपी सिंह भाषण देते थे। माना जाता है कि इस प्रोटोकॉल का नीतीश कुमार के निर्देश पर पालन किया जाता था। आरसीपी सिंह न केवल नीतीश कुमार की जाति से ही ताल्लुक रखते हैं, बल्कि वह नीतीश के परिवार के भी खास हैं।आरसीपी सिंह के जेडीयू राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के साथ ही उनके समर्थकों में खासा उत्साह दिख रहा है। पार्टी के दफ्तर के बाहर लगातार लोग उनके पक्ष में नारेबाजी कर रहे हैं और उन्हें बधाई दे रहे हैं। नीतीश कुमार ने बैठक में कहा कि एक व्यक्ति का मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय अध्यक्ष रहना सही बात नहीं है। मैं बिहार का सीएम तो हूं ही और जो भी अध्यक्ष होगा साथ में रहेंगे। उन्होंने कहा कि आरसीपी सिंह की अगुवाई में पार्टी और आगे बढ़ेगी। नीतीश कुमार ने कहा कि मैं तो मुख्यमंत्री भी नहीं बनना चाहता था लेकिन लोगों ने कहा तो मैंने यह पदभार संभाल लिया।दूसरा पहलू ये भी है कि नीतीश अब सक्रिय राजनीति से दूरी बनाना चाहते हैं। उन्होंने बिहार चुनाव के प्रचार के दौरान ही ये कह दिया था कि ये उनका आखिरी चुनाव है। हालांकि बाद में उन्होंने इसके अलग मायने बताए थे।