पुस्तक समीक्षा: एक रुका हुआ फैसला- अयोध्या विवाद के आखिरी चालीस दिन
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: February 14, 2021 08:58 AM2021-02-14T08:58:14+5:302021-02-14T08:58:14+5:30
अयोध्या स्थित बाबरी मस्जिद और श्रीराम जन्मभूमि कानूनी विवाद भारतीय इतिहास के सर्वाधिक चर्चित कानूनी मामलों में एक है। इस मामले में पहला मुकदमा आजादी से पहले 1885 में दर्ज हुआ था। आजादी के बाद साल 1950 में इस विवाद को लेकर नया मुकदमा दायर हुआ।
निचली अदालत, हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में करीब 69 सालों तक की अदालती कार्यवाही के बाद नौ नवंबर 2019 को इस मामले में उच्चतम न्यायालय का फैसला आया। यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई समेत पाँच जस्टिसों की संविधान पीठ ने सुनाया।
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की 40 दिनों तक सुनवाई चली जो सर्वोच्च अदालत के इतिहास में दूसरी सबसे लम्बी सुनवाई थी। सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या विवाद से जुड़ी इन 40 दिनों की बहस को आधार बनाकर पत्रकार प्रभाकर कुमार मिश्र ने यह किताब लिखी है जिसे हिन्द पॉकेट बुक्स ने प्रकाशित किया है।
प्रभाकर कुमार मिश्र ने किताब में मुकदमे की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि की रूपरेखा भी दी है ताकि पाठकों को पूरा मामला समझने में मदद मिले। किताबी कीड़ा के इस एपिसोड में हम इस किताब की चर्चा कर रहे हैं।