सपा के लालजी और राम अचल भाजपा के लिए बनेंगे चुनौती, सपा में बढ़ा कद, ओम प्रकाश राजभर का प्रभाव काटने की चुनौती
By राजेंद्र कुमार | Published: July 19, 2023 06:30 PM2023-07-19T18:30:22+5:302023-07-19T18:32:04+5:30
पूर्व मंत्री लालजी वर्मा और राम अचल राजभर दोनों बसपा के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। एक दौर था जब बसपा सुप्रीमो मायावती इन दो नेताओं पर आंख मूंद कर भरोसा करती थी। अब सपा में दोनों नेताओं को अहम जिम्मेदारी मिली है।
लखनऊ: अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर उत्तर प्रदेश (यूपी) की राजनीति काफी महत्वपूर्ण हो गयी है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने यूपी से सबसे अधिक सीटें जीतने का लक्ष्य तय किया है। इस टार्गेट को हासिल करने के लिए बीते दिनों भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने सपा से नाता तोड़ने वाले पूर्व मंत्री दारा सिंह चौहान को भाजपा में शामिल किया।
इसके साथ ही भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) से भी चुनावी गठबंधन किया ताकि पार्टी में जातीय समीकरण को मजबूत किया जा सके। भाजपा की इस रणनीति को भांपते हुए समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव भी अब सूबे की सियासत साधने के लिए जातीय समीकरणों को साधने में जुट गए हैं। जिसके चलते उन्होने भी कभी बसपा के खेवनहार रहे दो प्रमुख रणनीतिकारों लालजी वर्मा और रामअचल राजभर का पार्टी में कद बढ़ाते हुए उन्हे अहम जिम्मेदारी दी है। इन नेताओं के जरिए अखिलेश सूबे में कुर्मी और राजभर मतदाताओं को साधने में जुटेंगे।
सपा गठबंधन से ओमप्रकाश राजभर के अलग होकर भाजपा के साथ जाने के बाद अखिलेश अब लालजी वर्मा और रामअचल राजभर को पार्टी के प्रमुख नेता के रूप मे पेश करने लगे हैं। गत मंगलवार को अखिलेश यादव बंगलुरु में हुई विपक्षी दलों की बैठक में लालजी वर्मा और रामअचल राजभर को साथ लेकर गए। ऐसे करते हुए अखिलेश यादव ने सभी को पार्टी में इन नेताओं के बढ़े हुए कद का संकेत किया। अब विपक्षी नेताओं में लालजी वर्मा और रामअचल राजभर को अपना दल (एस) की मुखिया अनुप्रिया पटेल और सुभासपा के सर्वेसर्वा ओमप्रकाश राजभर के काट के रूप में देखा जाने लगा है। कहा जा रहा है कि अखिलेश यादव अब लालजी वर्मा और रामअचल राजभर के सहारे कुर्मी व राजभर वोटरों को साधने के फिराक में हैं।
सपा अपने कुनबे को इनके जरिए मजबूत करने में जुटेगी। इन नेताओं के जरिए अखिलेश यादव पूर्वांचल की सियासत भाजपा और ओमप्रकाश राजभर को चुनौती देगी। अपनी इस मंशा को अखिलेश यादव ने छुपाया भी नहीं और उन्होंने बेंगलुरु में आयोजित विपक्षी दलों की बैठक में पूर्व मंत्री लालजी वर्मा और राम अचल राजभर को शामिल करा कर यह संदेश दे दिया है कि कुर्मी और राजभर वोटों पर उनकी पैनी नजर है। अब इन दो जातियों के मतदाताओं को साधने में इनकी बड़ी भूमिका होगी। वैसे भी पूर्वांचल में राजभर और कुर्मी मतदाताओं की बाहुल्यता है। मोदी सरकार में मंत्री और अपना दल (एस) की मुखिया अनुप्रिया पटेल और ओमप्रकाश राजभर के जरिए भाजपा भी कुर्मी और राजभर मतदाताओं को अपने साथ जोड़ने की फिराक में है। ऐसे में लालजी वर्मा और र राम अचल राजभर अब भाजपा के लिए चुनौती बनेंगे।
लालजी वर्मा और राम अचल कौन है?
पूर्व मंत्री लालजी वर्मा और राम अचल राजभर दोनों बसपा के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। एक दौर था जब बसपा सुप्रीमो मायावती इन दो नेताओं पर आंख मूंद कर भरोसा करती थी। ऐसा माना जाता है कि इन दोनों नेताओं ने बसपा प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए पूरे प्रदेश में अपनी एक अलग टीम खड़ी कर ली थी और अपने-अपने जाति के वोटों पर उनकी अच्छी पकड़ है। अब यही दोनों नेता सपा के रणनीतिकार बन गए हैं। लखनऊ की सड़कों पर अखिलेश का लालजी का हाथ पकड़ कर सड़क पर निकलना या फिर विपक्ष की बैठक में राहुल गांधी के साथ इन दो नेताओं की तस्वीर सामने आना यह इस बात का परिचायक है कि सपा की सियासत में इनका कद बढ़ रहा है।