साल 1998, प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने राजस्थान के पोखरण जिले में परामाणु परीक्षण की अनुमति दी थी। अचानक किए गए इन परमाणु परीक्षणों से अमेरिका, पाकिस्तान समेत कई देश दंग रह गए थे। पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की अगुआई में यह मिशन कुछ इस तरह से अंजाम दिया गया कि अमेरिका समेत पूरी दुनिया को इसकी भनक तक नहीं लगी। जैसलमेर से 112 किलोमीटर दूर स्थित पोखरण, राजस्थान का एक ऐतिहासिक स्थल है जो ना सिर्फ परमाणु परिक्षण बल्कि यहां के पर्यटन स्थलों के लिए भी जाना जाता है।
यहां का ज्यादातर क्षेत्र रेगिस्थान से घिरा है। चट्टानों, बालू और सॉल्ट रेंज से घिरे इस स्थल पर कई ऐतिहासिक संरचनाएं देखने को मिलती हैं। आज हम आपको पोखरण की इसी खूबसूरती के बारे में बताने जा रहे हैं जहां आप अपने दोस्तों या परिवार वालों के साथ घूमने का प्लान बना सकते हैं।
सलीम सिंह की हवेली
पोखरण में और इस कस्बे के आसपास आपको कई प्राचीन हवेलियों देखने को मिलेंगी। इनमें से सबसे प्रसिद्ध है सलीम सिंह की हवेली। जानकारी के अनुसार इस हेवली का निर्माण 1815 में हुआ था, और हेवली का नाम इसके मालिक(सलीम सिंह मोहता) के नाम पर ही रखा गया था। इस हेवली का निर्माण जैसलमेर किले के पास, 17 वीं शताब्दी से संबंध रखने वाली एक पुरानी हवेली के अवशेषों से किया गया था। माना ये भी जाता है कि इसके निर्माण के कुछ समय बाद ही इसपर जैसलमेर के मेहता परिवार का कब्जा हो गया था, जो उस समय का एक शक्तिशाली परिवार था। ये हवेली वास्तुकला का एक खूबसूरत नमूना प्रदर्शित करती है।
पोखरण का किला
पोखरण घूमने जा रहे हों तो यहां का किला यानी पोखरण फोर्ट को देखना न भूलें। इस किले को बालागढ़ के नाम से भी जाना जाना जाता है। राठौड़ वंश द्वारा निर्मित इस किले के निर्माण में दुर्लभ पीले बलुआ पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है। यह जोधपुर के मारवाड़ शहर में स्थित है और जिसका इतिहास 14 वीं शताब्दी का बताया जाता है।
इस किले में हवा महल, मंगल निवास, फूल महल इत्यादि संरचनाएं मौजूद हैं। आप यहां किले की मूल संरचना के रूप में नक्कशीदार लाल और पीले बलुआ पत्थरों की दीवारों को देख सकते है। जिन लोगों को इतिहास में रुचि है उनका सफर यहां यादगार हो जाएगा।
बाबा रामदेव मंदिर
ऐतिहासिक स्थलों के अलावा आप यहां आसपास स्थित धार्मिक स्थलों के दर्शन भी कर सकते हैं। बाबा रामदेवी मंदिर या रामदेव पीर यहां के पवित्र स्थानों में गिना जाता है। यह मंदिर राजस्थान के स्थानीय देवता को समर्पित है, जो चौंदहवीं शताब्दी के एक शासक थे। माना जाता है कि उनमें चमत्कारी शक्ति थी, जिन्होंने समाज के गरीब और वंचित वर्ग को उठाने के लिए कई काम किए। राजस्थान के अलावा देश के अन्य कई हिस्सों में इनकी पूजा एक इष्ट देव के रूप में होती है।
पटवों जी की हवेली
पटवों जी की हवेली पोखरण के साथ-साथ जैसलमेर की भी एक महत्वपूर्ण हवेली मानी जाती है। जानकारी के अनुसार यह जैसलमेर की पहली हवेली थी और जिसे 5 छोटी हवेलियों से बनाया गया था। इस हवेली में भारत के पुरातात्विक सर्वेक्षण का कार्यालय और उनका राज्य कला और शिल्प विभाग इस हवेली में ही स्थित है।
पोखरण शहर हवेलियों का शहर भी कहा जा सकता है। इस शहर में आपको राजस्थान की संस्कृति की झलक बखूबी दिखाई देगी।