दुनिया में ऐसी कई जगह हैं जो अपने आप में बहुत ही अजीबो-गरीब हैं। पर्यटन की दृष्टि से देखें या निर्माण की दृष्टी से ये जगहें समझ से परे हैं। अगर आपको भी देश की ऐसी अजीबो-गरीब जगहों को जानने और घूमने का शौक है तो हम आपको लिए चलते हैं उत्तर प्रदेश के जालौन जिले में। ये ना सिर्फ अपने पौराणिक इतिहास के लिए जाना जाता है बल्कि यहां बनी कुछ पुरानी इमारतें अपने आप में अनोखी मान्यताएं लिए हुए हैं।
रावण के किरदार से प्रभावित होकर बनवाया लंका मीनार
आज हम आपको जालौन जिले की एक ऐसे मीनार के बारे में बताने जा रहे हैं जहां आप अपने सगे भाई या बहन के साथ नहीं जा सकते हैं। 225 फीट ऊंची इस मीनार को लंका मीनार भी कहते हैं। इसके भीतर रावण के पूरे परिवार का चित्रण किया गया है। कहा जाता है कि इस मीनार का निर्माण कराने वाले मथुरा प्रसाद रामलीला में रावण का किरदार निभाते थे, उन्हें रावण के किरदार से इस कदर लगाव हो गया कि उन्होंने रावण की याद में लंका का ही निर्माण करा डाला। सीप, उड़द की दाल, शंख और कौड़ियों से बनी इस मीनार को बनाने में करीब 20 साल का समय लगा। इस मीनार में सगे भाई बहन के जाने से रिश्ते खराब होते हैं।
नाग-नागिन आज भी करते हैं इसकी रक्षा
इस मीनार के निर्माण में कुल लागत करीब 1 लाख 75 हजार रुपए आंकी गई थी। मंदिर परिसर में एक 180 फीट की लम्बाई वाले नाग देवता विराजमान हैं और साथ ही 95 फीट लंबी नागिन मुख्य द्वार पर ही बैठी है। मान्यता है कि ये दोनों नाग नागिन इस मीनार की रखवाली करते हैं। कुतुबमीनार के बाद यही मीनार का नाम भारत की सबसे ऊंची मीनारों में आता है।
पति-पत्नी साथ में कर सकते हैं परिक्रमा
कहा जाता है कि लंका मीनार की नीचे से ऊपर तक चढ़ाई में सात परिक्रमाएं करनी होती है, जो कि भाई-बहन एक साथ नहीं कर सकते, ये फेरे केवल पति-पत्नी द्वारा ही मान्य होते हैं। यही कारण ही कि भाई-बहन के यहां एक साथ जाने पर रोक है। भाई-बहन के अलावा मामा और भांजे का भी एक साथ यहां जाना निषेध है, इसके लिए बकायदा यहां पर बोर्ड भी लगा हुआ है, ताकि अगर किसी को मालूम ना हो, और वो वहां पर घुस जाए, तो परिक्रमा ना करें, या सीढियों की चढ़ाई ना शुरु कर दें।