जैसे आम लोग अपने काम के लिए बैंकों से लोन लेते है, उसी तरह बैंक अपने काम के लिए रिजर्व बैंक से लोन लेते हैं। इस लोन बैंक जिस रेट से ब्याज चुकाते हैं उसे रेपो रेट कहते हैं। रेपो रेट का सीधा असर आम लोगों पर पड़ता है, क्योंकि अगर रेपो रेट ज्यादा होगा तो बैंकों को महंगा लोन मिलेगा और वो अपने ग्राहकों को ज्यादा रेट पर लोन देंगे। वहीं अगर रेपो रेट कम होगो तो कों को कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध होगा और वो भी ग्राहकों को सस्ता कर्ज दे सकते हैं। Read More
आरबीआई ने अनुमान लगाया है कि मुद्रास्फीति फरवरी की तुलना में अधिक होगी। केंद्रीय बैंक ने अपने उदार रुख को बनाए रखते हुए कहा कि देश की अर्थव्यवस्था में सुधार हो रहा है। वित्त वर्ष 2022-23 के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान 4.5 प्रतिशत के पिछले अनुमान के मु ...
रेपो रेट बढ़ने के कारण लोन के ब्याज दरों में वृद्धि होगी। यानी सीधे शब्दों में कहें तो लोने लेना महंगा हो जाएगा। ईएमआई में निश्चित रूप से बढ़ोतरी हो जाएगी। ...
रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों को कोई बदलाव नहीं किया है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति की तीन दिन की समीक्षा बैठक के बाद ये घोषणा की। ...
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को मौद्रिक नीति समिति की बैठक के नतीजों का ऐलान किया। इस बार भी रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है। ...
रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक में रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला लिया गया है। फिलहाल रेपो रेट 4 और रिवर्स रेपो रेट 3.35 प्रतिशत है। ...
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने तीन दिनों की मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद बताया है कि इस बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है। जाहिर है इससे ईएमआई पर कोई राहत नहीं मिलने जा रही है। ...
केंद्रीय बैंक कोविड-19 महामारी के प्रकोप से अर्थव्यवस्था को होने वाले नुकसान और लॉकडाउन के असर को सीमित करने के लिए लगातार कदम उठा रहा है। इससे पहले एमपीसी की बैठक मार्च और मई 2020 में हो चुकी है, जिनमें नीतिगत रेपो दरों में कुल 1.15 प्रतिशत की कटौती ...