RBI ने रेपो रेट में नहीं किया कोई बदलाव, गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा- इस साल निगेटिव रह सकती है GDP ग्रोथ
By विनीत कुमार | Published: August 6, 2020 12:11 PM2020-08-06T12:11:38+5:302020-08-06T12:15:28+5:30
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने तीन दिनों की मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद बताया है कि इस बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है। जाहिर है इससे ईएमआई पर कोई राहत नहीं मिलने जा रही है।
भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से रेपो रेट में इस बार कोई भी बदलाव नहीं किया है। ये 4 प्रतिशत पर बना रहेगा। ये घोषणा रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर शक्तिकांत दास ने की। इसके अलावा रिवर्स रेपो रेट को भी 3.3 प्रतिशत पर बरकरार रखा गया है। साथ ही आरबीआई गवर्नर ने कहा कि वास्तविक जीडीपी वृद्धि पहली छमाही में और पूरे वित्त वर्ष में नकारात्मक रह सकती है।
रेपो रेट में बदलाव नहीं किए जाने की संभावना पहले से लगाई जा रही थी। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिनों की बैठक के बाद शक्तिकांत दास ने गुरुवार को ये घोषणा की। कोरोना संकट के बीच मार्च और मई 2020 के अंत में हुई बैठकों में रेपो दर में कुल 1.15 प्रतिशत की कटौती की जा चुकी है। इससे पहले फरवरी 2019 से अब तक रेपो दर में 2.50 प्रतिशत तक कटौती की गई थी।
Reverse repo rate also remains unchanged at 3.3%: RBI Governor Shaktikanta Das https://t.co/Z6EnJlO6u6
— ANI (@ANI) August 6, 2020
बता दें कि बैंक रिजर्व बैंक से लिए लोन को जिस दर पर चुकाता है उसे रेपो रेट कहते हैं। बैंक को जब रिजर्व बैंक से कम ब्याज दर पर लोन मिलता है तो वे भी ग्राहकों को सस्ता कर्ज देते हैं। इससे लोन पर ब्याज दरें कम होती हैं। वहीं, भारतीय रिजर्व बैंक अन्य बैंकों से लिए पैसों पर जिस दर से उन्हें ब्याज देता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं।
बहरहाल, शक्तिकांत दास ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था अब भी कमजोर है पर विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़त का सिलसिला जारी है। आरबीआई गवर्नर ने साथ ही कहा कि खुदरा महंगाई दर अभी नियंत्रण में है।
शक्तिकांत दास ने कही ये बड़ी बातें
- आरबीआई गवर्नर दास ने कहा कि एनएचबी, नाबार्ड द्वारा 10,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त नकदी सुविधा मुहैया कराई जाएगी।
- आरबीआई गवर्नर ने कहा कि वास्तविक जीडीपी वृद्धि पहली छमाही में और पूरे वित्त वर्ष में नकारात्मक रहने का अनुमान।
- आरबीआई गवर्नर दास ने कहा कि अप्रैल 2020 से शुरू हुए वित्त वर्ष की पहली छमाही में भारत की अर्थव्यवस्था में संकुचन आने का अनुमान है।
- मौद्रिक नीति समिति का अनुमान है कि मुद्रास्फीति दूसरी तिमाही में ऊंची बनी रहेगी। चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में इसमें नरमी आ सकती है।
- आपूर्ति श्रृंखला में बाधायें बरकरार हैं जिससे विभिन्न क्षेत्रों में महंगाई का दबाव बना हुआ है।
- आर्थिक गतिविधियों में सुधार की शुरुआत हो गई थी, लेकिन संक्रमण के मामले बढ़ने से लॉकडाउन लगाने को मजबूर होना पड़ा।