हिन्दू धर्म में मकर संक्रांति का त्योहार बेहद खास और महत्वपूर्ण माना जाता है। सूर्य के राशि परिवर्तन को ही संक्रांति कहते हैं। इस तरह साल में 12 संक्रांति आते हैं। पौष मास में जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तभी मकर संक्रांति का पर्व को मनाया जाता है। वर्तमान समय में जनवरी के चौदहवें या पन्द्रहवें दिन इसे मनाया जाता है। मकर संक्रांति के साथ एक माह से चला रहा खरमास या मलमास खत्म हो जाता है और शुभ कार्य शुरू किए जाते हैं। परंपराओं के अनुसार मकर संक्रांति पर पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है। साथ ही दान आदि भी किया जाता है। इस दिन तिल का महत्व काफी खास हो जाता है। तिल का दान, और इसका सेवन शुभ माना गया है। मकर संक्रांति के दिन गुजरात में अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव भी मनाया जाता है। Read More
मकर संक्रांति पर सूर्य देव की पूजा के आबाद दान का अत्यंत महत्व है। इसदिन लोग गरीबों में गुड़, तिल, घी, दाल, आदि वस्तुएं दान करते हैं। ये सभी वस्तुएं मंदिरों में भी दान रूप में चढ़ाई जाती हैं। ...
मकर संक्रांति पर गुड़ और तिल से बने पकवानों को बनाने और उनके सेवन का भी महत्व है। इसके अलावा इस महान दिन पर दान पुण्य करना भी अत्यंत शुभ माना जाता है। ...
मकर संक्रांति पर देश के हर कोने में अलग अलग तरीके से खिचड़ी और तिल के व्यंजन पकाए जाते हैं। इन्हें मकर संक्रांति के दिन बनाया जाता है और भगवान को भोग लगाने के बाद अगले दिन सूर्य उदय के पश्चात ही ग्रहण किया जाता है। ...